ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हो गई है। एम्स में डाॅक्टरों के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती नहीं होने का मामला संसद के दोनों सदनों में उठा है। जिसमें आरक्षण नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।
मेरठ निवासी भाजपा की राज्यसभा सांसद कांता कर्दम ने सदन में एक्स ऋषिकेश में स्वीकृत अनुसूचित जाति के 36 डाॅक्टरों की नियुक्ति का मामला उठाया था। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से एम्स में आरक्षित और अनारक्षित पदों का ब्यौरा मांगा। इसमें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पदों पर नियुक्ति नहीं किए जाने का सवाल उठाया और आरक्षण नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। इसके बाद लोकसभा में भी एक्स में मचे भ्रष्टाचार का मामला उठ चुका है। लोकसभा में मेघालय से कांग्रेस सांसद कुमार अगाथा के संगमा ने एम्स में स्वीकृत अनुसूचित जाति के 36 डाॅक्टरों की नियुक्ति नहीं करने पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरक्षण नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा और इन पदों को भरने की मांग की। मार्च 2020 के विज्ञापन में भी एक्स प्रशासन ने इन पदों को भरने के लिए विज्ञापन नहीं निकाला।
एम्स में एससी के लिए आरक्षित है 36 पद
एम्स ऋषिकेश में अनुसूचित जाति के डाॅक्टरों के लिए 36 पद आरक्षित है। इनमें से प्रोफेसर के छह पद, एडिशनल प्रोफेसर के चार पद, एसोसिएट प्रोफेसर के नौ पद और असिस्टेंट प्रोफेसर के 17 पद शामिल है। शुरूआत से ही इन पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है। संसद में मामला उठने के बाद से एम्स प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव शंभु कुमार ने एम्स प्रशासन से जवाब तलब किया है।
खबरची ब्यूरो