पीलीभीत। बड़े अफसर का खुद का तबादला हो जाए और चलते-चलते छोटे अधिकारियों और का तबाादला कर दे, तो यह खेल ही माना जाता है। आईपीएस संजीव त्यागी ने बिजनौर में ऐसा ही किया तो वह योगी सरकार के निशाने पर आ गए। प्रतापगढ़ एसपी पद पर तबादला किए जाने के बाद उनको ज्वाइनिंंग से रोक दिया गया। ऐसा ही खेल पीलीभीत के डीएम वैभव श्रीावास्तव ने किया मगर वह सरकार की नजरों में नहीं आए।
यूपी सरकार में आईएएस-आईपीएस अफसरों की तबादला सूची 16 अगस्त को जारी की थी। इसमें पीलीभीत डीएम वैभव श्रीवास्तव को नई पोस्टिंंग रायबरेली में दी गई। डीएम ने उसी दिन पीलीभीत की तीनों तहसीलों में एसडीएम बदल दिए थे। एसडीएम चंद्रभानु सिंंह को बीसलपुर से पूरनपुर, राजेन्द्र प्रसाद को पूरनपुर से अतिरिक्त उप जिलाधिकारी पीलीभीत और अंजलि गंगवार को बीसलपुर में एसडीएम के पद पर तैनाती दी गई। कुछ ऐसा ही आईपीएस संजीव त्यागी ने बिजनौर में किया, जहां से उनका तबादला हो चुका था। त्यागी को एसपी प्रतापगढ़ के पद पर भेजा गया था। जाते-जाते थाना प्रभारियों से लेकर सिपाहियों तक को मनचाही पोस्टिंग दे दी। बिजनौर का माामला सामने आते ही सरकार ने संजीव त्यागी को आजमगढ़ एसपी के पद का चार्ज लेने से रोककर उन्हें डीजीपी मुख्यालय से अटैच कर दिया। हालांकि पीलीभीत के मामले में ऐसा नहीं हुआ। खुद का तबादला होने के बाद भी पीलीभीत में तबादला एक्सप्रेस चलाने वाले आईएएस वैभव श्रीवास्तव की ओर शासन ने ध्यान नहीं दिया। एक जैसे मामले में शासन को दोहरा रुख किसी की भी समझ से परे है।