बरेली/लखनऊ। पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों से मिल रही सूचनाओं पर भरोसा करें तो यूपी में विधानसभा चुनाव की कसरत में जुटी सत्तारूढ़ भाजपा अबकी बार टिकट पर उम्र बंधन का फार्मूला फिट करने जा रही है। इस कसौटी में ऐसे सभी विधायक फिट होने वाले हैं, जो या तो जिंदगी के 70 बसंत देख चुके हैं या फिर 2022 के विधिवत चुनावी शंखनाद के वक्त उम्र में 70 या इसके आसपास पहुंचने वाले हैं। ऐसे उम्रदराज विधायकों की जगह पार्टी नए चेहरों को चुनावी रण में उतार सकती है। पार्टी में अंदरूनी चर्चा है कि इस पैमाने पर टिकट बांटे गए तो अकेले रुहेलखंड में कई सीनियर विधायक बे-टिकट हो जाएंगे।
दूसरी पार्टी से आए, दो बार विधायक बनेे, अब बदलेगा दायित्व
भाजपा के सांगठनिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी 70 की उम्र के साथ एक नए फार्मूले पर भी मंथन कर रही है। इसमें ऐसे नेताओं को रखा जा रहा है, जो दूसरी पार्टियों से भाजपा में आए और भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक बन चुके हैं। ऐसे चेहरों को 2022 के चुनाव में पार्टी के अंदर दूसरी जिम्मेदारी देने के साथ उम्मीदवारी के लिए लंबे समय से भाजपा के लिए काम कर रहे निष्ठावान और उत्साही चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी है। पार्टी में अंदरखाने इसके लिए बेहतर चेहरों की तलाश भी शुरू करा दी गई है।
पदाधिकारी पहले इस्तीफा देंगे, तब करेंगे टिकट के लिए आवेदन
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकमान ने अभी से ये भी संदेशा जिलों में भिजवा दिया है कि संगठन में दायित्व संभाल रहे मौजूदा पदाधिकारी अगर चुनाव लड़ने के लिए विधिवत टिकट आवेदन करना चाह रहे हैं तो इसके लिए उनको पहले पद से इस्तीफा देना होगा। हाईकमान के इस मैसेज से रुहेलखंड के अंदर कई ऐसे पदाधिकारियों की नींद उड़ गई है, जो 2022 में विधानसभा चुनाव के लिए टिकटार्थियों की लाइन में लगे नजर आ रहे हैं।
बरेली में 5 भाजपा विधायकों की दावेदारी में फंस रहा उम्र का पेंच
केन्द्र और राज्य सत्ता काबिज भाजपा अधिक उम्र के नेताओं को मुख्यधारा की राजनीति की जगह पार्टी में दूसरे दायित्व सौंपने का काम पहले ही शुरू कर चुकी है। इसी कसौटी में आने के बाद कुछ माह पहले बरेली सांसद संतोष गंगवार केन्द्र में मंत्री पद छोड़ चुके हैं और अब दूसरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यूपी सरकार में कई बार मंत्री रहे बरेली कैंट विधायक राजेश अग्रवाल का मंत्री पद भी अधिक उम्र की वजह से जा चुका है। आंवला विधायक एवं पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह, बरेली शहर विधायक डॉ. अरुण कुमार, बहेड़ी विधायक छत्रपाल गंगवार, भोजीपुरा विधायक बहोरन लाल मौर्य ऐसे नाम हैं, जो या तो 2022 में 70 के आसपास होंगे या इससे भी आगे निकल चुके होंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कुछ समय पहले बरेली दौरे पर आए भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल और क्षेत्रीय अध्यक्ष रजनीकांत माहेश्वरी सांगठनिक और चुनावी मंत्रणा के साथ विधायकों की उम्र को लेकर भी मंथन कर चुके हैं। दोनों नेता यहां के हर विधायक का पंचवर्षीय परफोर्मेंस भी समझकर गए हैं। दोनों नेताओं के सामने बरेली के एक काबिल विधायक अपनी फजीहत भी करा चुके हैं, जब प्रदेश महामंत्री संगठन व क्षेत्रीय अध्यक्ष के सामने उनसे एक मिनट में अपनी बात, अपनी समस्या रखने को गया था और बार-बार टोकने के बाद भी उम्रदराज विधायक जी 15-20 मिनट में भी अपनी बात खत्म नहीं कर सके और मुद़देे गली-मोहल्ले और पुलिस की चेकिंंग के उठाते रहे। यहां बता दें कि 2017 के चुनाव में बरेली जिले की सभी 9 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था। कुछ माह पहले कोरोना की चपेट में आने से नवाबगंज से भाजप विधायक केसर सिंंह गंगवार का असमय निधन हो गया था, उसके बाद ये सीट रिक्त चल रही है। सांगठनिक सूत्रों का कहना है कि बाकी के 8 विधायकों में 5 जो अधिक उम्र के दायरे में आ रहे हैं तो बाकी के कुछ खराब परफार्मेंस को लेकर पार्टी हाईकमान की नजरों में चढ़ चुके हैं। इससे लग रहा है कि हाईकमान चुनावी साल 2022 में बरेली जिले के अंदर ‘ बड़ी राजनैतिक सर्जरी ‘ कर सकता है!
सीनियर विधायक खुद नहीं तो उनके बेटा-बेटी टिकट के दावेदार
भाजपा सूत्रों का कहना है कि टिकट में 70 की उम्र पेंच देखकर सीनियर विधायक अपने बेटा-बेटी या करीबी को टिकट मांग सकते हैं। चर्चा है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार अपनी बेटी श्रुति गंगवार को नवाबगंज विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते हैं। इसी तरह कैंट विधायक एवं भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल अपने बेटे मनीष अग्रवाल या बेटी सुनयना अग्रवाल को टिकट की दावेदारी करा सकते हैं, ऐसी चर्चा भी पार्टी के अंदर हो रही है। ऐसे ही आंवला विधायक पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंंह अपने बेटे यशवंत सिंंह को टिकट चाह रहे हैं, भाजपा कैंप में इसकी चर्चा भी आम है। शहर विधायक डॉ. अरुण कुमार, भोजीपुरा विधायक बहोरनलाल मौर्य और बहेड़ी एमएलए छत्रपाल गंगवार को लेकर पार्टी कैंप में फिलहाल खामोशी है।
खबरची ब्यूरो