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क‍िसान आंदोलन में शाम‍िल संत बाबा रामस‍िंह ने सरकार के रुख से आहत होकर कर ली खुदकुशी, जान‍िए सुसाइड नोट में क्‍या कुछ ल‍िखकर संत बाबा ने छोड़ दी दुन‍िया

नई द‍िल्‍ली/ करनाल। क‍िसान आंदोलन में कई अन्‍नदाता की मौत के बीच एक और मनहूस खबर सामने आई है। क‍िसान आंदोलन में शाम‍िल हर‍ियाणा में करनाल के संत बाबा रामस‍िंह ने सरकार के रुख के आहत होकर खुदकुशी कर ली है। उन्‍होंने सुसाइड नोट ल‍िखकर खुद को गोली मार ली। तुरंत उन्‍हें अस्‍पताल ले जाया गया, जहां डाक्‍टरों ने मृत घोष‍ित कर द‍िया। सुसाइड नोट में संत बाबा ने सरकार पर क‍िसानों ह‍ितों की अनदेखी के आरोप लगाए हैं। 

संत बाबा राम सिंह कई द‍िनों से राजधानी दिल्ली की सीमा पर जारी क‍ि‍सान आंदोलन मेें भाग ले रहे थे। उन्‍होंने क‍िसानों की सहायता को कैंप लगा रखा था, ज‍िसमें क‍िसानों को सर्दी से बचाव को कंबल और दूसरे जरूरी सामान बांटे जा रहे थे। एक द‍िन पहले संत बाबा रामस‍िंह ने मीड‍िया से बातचीत में कहा था क‍ि क‍िसानों का आंदोलन उनके हक की अवाज है और सरकार को इस पर तुरंत ध्‍यान देकर सभी मांगे मान लेनी चाह‍िए।

इसके अगले ही द‍िन संत बाबा ने क‍िसान आंदोलन के दौरान खुद को गोली मारकर जान दे दी। गोली लगने के बाद बाबा को तुरंत अस्‍पताल ले जाया गया मगर उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। पुल‍िस ने उसके पास से सुसाइड नोट बरामद क‍िया है, ज‍िसमें बाबा ने सरकार पर क‍िसानों केे ह‍ित की अनदेखी के आरोप लगाए हैं। बाबा ने सुसाइड नोट में ल‍िखा क‍ि वह किसानों की हालत नहीं देख सकते हैं। केंद्र सरकार विरोध को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए वे किसानों, बच्चों और महिलाओं को लेकर चिंतित हैं। अपने हक के लिए सड़कों पर किसानों को देखकर बहुत दिल दुख रहा है। सरकार न्याय नहीं दे रही है। जुल्म है। जुल्म करना पाप है। जुल्म सहना भी पाप है। पुल‍िस फ‍िलहाल मामले की जांच कर रही है। यहां बता दें क‍ि क‍िसान आंदोलन के दौरान सर्दी औरे बीमार से कई क‍िसानों की जान जा चुकी है। सरकार और आंदोलनकारी क‍िसानों अपने-अपने रुख पर कायम हैं। कई दौर की वार्ता के बाद भी क‍िसान आंदोलन खत्‍म होता नजर आ रहा है।

खबरची ब्‍यूरो 

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