पीलीभीत। कोरोना संक्रमण के कारण करीब ढाई माह से पर्यटकों के लिए बंद पीलीभीत टाइगर रिजर्व दो दिन बाद सैलानियों के खोल दिया जाएगा। डीएम पीलीभीत ने ट़वीट के जरिए कहा कहा है कि 1 नवंबर के बाद टाइगर रिजर्व के झंडताल में वन्य जीवों को देखने आ सकते हैं। झंडताल इसलिए नाम पड़ा है, क्योंकि यहां बहुत झाड़-झंकाड़ थे। महोफ और बराही रेंज की सीमा में स्थित इस ताल को गैंडा प्रोजेक्ट के लिए तैयार किया गया था।
1 नवंबर से पीलीभीत टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए खुलने जा रहा है। पर्यटक इस बार बाघ और हिरण के साथ ही राष्ट्रीय पक्षी मोर के दीदार भी आसानी से कर सकेंगे। खास बात तो यह है कि जंगल में बाघ की चहल कदमी भांपकर मोर ही ऐसा पक्षी है जो तेजी से शोर मचाते हैं।
जंगल के रास्तों को दुरुस्त कराया गया है। चूका पिकनिक स्पाट की हटों को नए लुक में तैयार किया जा रहा है। पर्यटन सत्र का व्यापक प्रचार-प्रसार भी कराया जा रहा है। जंगल में आने वाले पर्यटकों को जहां बाघ, हिरन, चीतल से ही बारहसिंघा भालू आदि के दीदार जंगल सफारी के दौरान होंगे। वही राष्ट्रीय पक्षी मोर के दर्शन भी पर्यटक कर सकेंगे। पीलीभीत के जंगलों में मोर बहुतायत में पाया जाता है।
अक्सर सफारी गाड़ियों के सामने मोर आ जाते हैं और उनका नृत्य पाठकों को देखने को मिल जाता है। माला के उप प्रभागीय वनाधिकारी उमेश चंद्र राय ने अपने मोबाइल कैमरे से जंगल में विचरण करते और नृत्य करते कई मोरों के फोटो भी संकलित किए हैं। उन्होंने बताया कि अक्सर सफारी गाड़ियों के सामने भी राष्ट्रीय पक्षी विचरण करता मिल जाता है। कई बार मोर का नृत्य भी देखने को मिलता है। जानकारों की मानें तो जंगल में बाघ की चहलकदमी पर मोर ही ऐसा पक्षी है जो शोर मचाकर सभी जीव जंतुओं को आगाह करता है। जंगल में जाने वाले लोग भी मोर की आवाज सुनकर ही जान जाते हैं कि आसपास ही वनराज मौजूद है। इस बार भी तैयार हो जाइए बाघ, हिरन आदि वन्य जीवों के साथ मोर का नृत्य देखने के लिए। 1 नवंबर के बाद आप कभी भी नहीं पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सैर को आ सकते हैं। पीटीआर आपका स्वागत करने को तैयार है।
खबरची ब्यूरो