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सर्वे का सच: गंगाजल से हार रहा कोरोना, न‍ियम‍ित स्‍नान-सेवन करने वालों के पास नहीं आई महामारी, र‍िसर्च में जुटा बीएचयू

वाराणसी। गंगा को यूं ही जीवनदाय‍िनी नहीं कहा जाता। हजारों साल से गंगा का अमृत तुल्‍य जल मानव कल्‍याण करता आ रहा है। पूरा व‍िश्‍व आज जब कोरोना महामारी से जूझ रहा है, तो ये गंगाजल ही है जो इसको परास्‍त करता नजर आ रहा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की र‍िसर्च को सच मानें तो कोरोना वायरस गंगा जल के आगे श‍िकस्‍त खाता नजर आ रहा है। गंगा जल के न‍ियम‍ित स्‍नान और क‍िसी भी तरह इसका रोज सेवन करने वाले क‍िसी भी आयु वर्ग के ज‍ितने लोगों पर र‍िसर्च क‍िया गया। उसमें यह बात सामने आई है क‍ि ऐसे क‍िसी भी व्‍यक्‍त‍ि को कोरोना का असर नहीं हुआ।

गंगाजल पर यह र‍िसर्च बीएचयू के स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने की है। दावा है कि गंगा के जल में पाए जाने वाले बैक्टीरियोफॉज कोरोना वायरस को हराने में पूरी तरह सक्षम हैं। गंगाजल से कोव‍िड-19 का उपचार करने के ल‍िए मनुष्‍यों पर प्रयोग की तैयारी है। बड़ी बात ये है क‍ि रिसर्च ने इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के अगलेे एडीशन में जगह भी पाई है। बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो. रामेश्वर नाथ चौरसिया, न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. वीएन मिश्रा की अगुवाई में च‍िक‍ित्‍सकों की की टीम ने 490 लोगों पर सर्वे किया था। बताया गया कि प्रारंभ‍िक सर्वे में पता लगा क‍ि नियमित गंगा स्नान और गंगाजल का किसी भी तरह से सेवन करने वालेे लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में नहीं आए। इतना ही नहीं क‍ि गंगा नदी के आसपास 50 मीटर के दायरे में रहकर गंगा स्नान और गंगाजल का सेवन करने वाले 273 भी सर्वे में शाम‍िल क‍िए गए। 30 साल से 90 साल तक उम्र इस दायरे में रखे गए। चौंका देने वाली बात ये है क‍ि इसमें से क‍िसी पर भी कोरोना का प्रभाव नहीं पड़ा। इस सर्वे ने बीएचयू की र‍िसर्च को बड़ा बल द‍िया है। गंगा के 50 मीटर के दायरे में रहने वाले 217 ऐसे लोग भी सर्वे में शाम‍िल क‍िए गए जो गंगाजल का किसी रूप में इस्तेमाल नहीं करते थे। हैरत की बात ये है क‍ि इसमें से 20 लोग संक्रमण की चपेट में आए और उनमें से दो की जान भी चली गई।

गौमुख से वाराणसी तक ल‍िए बैक्टीरियोफॉज सैंपल, तब तैयार क‍िया स्‍प्रे 

र‍ि‍सर्च टीम केे मुताब‍िक, गोमुख, बुलंदशहर, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी सहित 17 स्थानों से बैक्टीरियोफॉज के सैंपल लिए गए। शोध मेें पाया गया क‍ि गंगा जहां पर पूरी तरह स्वच्छ हैं, वहां के जल में हान‍िकारक बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है।  र‍िसर्च टीम ने खास स्प्रे तैयार किया है, ज‍िससे कोरोना का मुकाबला किया जा सकता है। अब बीएचयू की एथिकल कमेटी से क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मांगी गई है। 198 लोगों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल की तैयारी है। शुद्ध गंगाजल के प्रयोग से क‍िसी तरह के हान‍िकार‍क प्रभाव का सवाल नहीं उठता है।

स्‍वीकार हुई र‍िसर्च, अब स्‍प्रे से कोरोना उपचार के ल‍िए भेजा गया प्रस्‍ताव

 

इस र‍िसर्च को दो सितंबर को ही यह इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी में स्वीकार कर ल‍िया गया है। आइएमएस को स्प्रे से उपचार के लिए प्रस्ताव भी भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद 198 कोरोना मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी है। कामयाबी म‍िली तो मात्र 10 रुपये में ही स्प्रे म‍िलेगा जो कोरोना की औषध‍ि का काम करेगा।

खबरची ब्‍यूरो 

 

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