बरेली। मुंबई पर एक फिल्म बनी थी ‘स्लमडॉग मिलियनेयर ‘…। उसी विदेशी निर्माता ने अगर एक बार बरेली की डर्टी पिक्चर देख लीं तो नई फिल्म बनाने का ख्वाब दिमाग में जरूर आ सकता है। शहर बरेली को स्मार्ट सिटी बनाने के दावे किए जा रहे हैं और पॉश इलाकों को नगर निगम की मशीनरी जान-बूझकर कूड़े के ढेर में दबा रही है।
कहानी राजेन्द्र नगर की है। आवास विकास योजना 2 झूलेलाल द्वार के पास का मुख्य मार्ग पर फैल रही गंदगी कोविड़-19 संक्रमण को भी ठेंगा दिखा रही है ।स्वच्छता के नाम पर यह इलाका ख़ुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है ।मगर न तो ज़िला प्रशासन और न ही नगर निगम के अधिकारियों का इस ओर ध्यान आकर्षित हो सका है । डेलापीर तालाब के पास रोड पर डोर टू डोर कलेक्शन वाले रिक्शों को खड़ा कर दिया गया है । और एक हिस्से में डम्पिंग ग्राउंड बना कर लोगों को मुफ़्त में बीमारियाँ देने का काम किया जा रहा है । जबकि इस डेलापीर तालाब के चारों तरफ़ की बाउंड्री को साफ़ सुथरा बनाकर सौंदर्यिकरण कर आकर्षित बनाया जा सकता है ।
अफसोस, मेयर उमेश गौतम और नगर आयुक्त अभिषेक आनंद के पास इतना सब सोचने की फुर्सत ही कहां है। एक तरफ राजेन्द्र नगर,एकता नगर व डेलापीर रोड आदि के प्रमुख मार्गों को चकाचक करनेे की कोशिश की जा रही है तो दूसरी ओर झूलेलाल द्वार के पास बने क़ूड़ा घर के कारण इलाकों में गंदगी पसरी पड़ी है। कॉलोनियों में लोगों को गंदगी के कारण बढ़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।वहीं पटेल नगर,पूर्णगिरी विहार व साई रेसीडेंसी कॉलोनी में भी लोग निगम अधिकारियों की लापरवाही के चलते फैल रही गंदगी से परेशान हैं। दर्जनों शिकायतों के बाद भी निराकरण नहीं किया जा रहा और अधिकारी आने वाले दिनों में सफाई व्यवस्था करने का हवाला दे रहते हैं। तालाब के चारों ओर खाली ज़मीन पर फैल रही गंदगी समस्या का कारण बन रही हैं। खुली जगह देखकर लोग खुद ही यहां कचरा फेंक देते हैं। और नगर निगम के डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए वाहन आते हैं और काली मंदिर डेलापीर मुख्य मार्ग के समीप बने क़ूड़ा घर पर भी खचरा पलट कर गंदगी को बढ़ावा दे रहे है । जबकि यह क़ूड़ा घर को पॉश इलाक़े से बाहर होना चाहिए । यह सिस्टम कारगर साबित नहीं हो पा रहा। खुले में कचरा फेंकने के कारण यहां गंदगी और बदबू बढ़ रही है। नगर निगम का यह क़ूड़ा घर बीमारियों को खुले आम न्योता दे रहा है । मगर न तो मेयर उमेश गौतम और न ही नगरायुक्त अभिषेक आनंद ने इस समस्या के समाधान का कोई उपाय ढूँढा है । इससे नागरिकों में रोष बढ़ रहा है।
खबरची/ अमित नारायण शर्मा