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मुख्यमंत्री जी, नोएडा की तरह गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की भी कराएं विजीलेंस जांच, फंस जाएगी सबकी गर्दन

गाजियाबाद। आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) का सिस्टम सुधरने का नाम नहीं ले रहा। नोएडा के सुपरटेक एमराल्ट कोर्ट सोसायटी के दो अवैध टावरों को गिराने के आदेश के साथ ही बिल्डर-अफसर गठजोड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बेहद कठोर टिप्पणी के बावजूद भी  जीडीए में  धांधली का खेल जारी है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने भी नियमों को ताक पर रखकर सुपरटेक, पंचशील व एसोटैक बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए गलत तरीके से नक्शे पास कर दिए है। जबकि मौके पर बिल्डरों का न तो जमीन पर स्वामित्व है और ही सड़क ही मौजूद है। इस मामले में शासन में शिकायतें की गई हैं। सीबीआईजी या विजीलेंस जांच की मांग भी उठ रही है।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में लागू भवन उपविधि के तहत मौजूद सड़क पर ही नक्शा पास किए जाने का नियम है। जीडीए अफसरों ने मौके पर सड़क विद्यमान है या नहीं, स्वामित्व है या नहीं, इस सबका परीक्षण किए बगैर ही बिल्डरों के नक्शे पास कर लाभ पहुंचाया। चर्चा है इस काम के बदले करोड़ों के खेल को अंजाम दिया गया है।

मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी सही जवाब नहीं दे रहे जीडीए के अधिकारी

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण

गाजियाबाद के डूंडाहेड़ा गांव के रहने वाले किसानों ने बताया कि मामले में मुख्यमंत्री पोर्टल पर तीन बार शिकायत की जा चुकी है लेकिन तीनों बार जीडीए के मुख्य नगर नियोजक आशीष शिवपुरी द्वारा रटारटाया एक ही जवाब दिया गया है कि जांच के लिए पत्र तहसीलदार जीडीए को भेज दिया गया है। दो माह हो गए है कि लेकिन जीडीए द्वारा इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

राजस्व टीम की पैमाइश के बाद कहानी पूरी तरह हो गई साफ

क्रासिंग रिपब्लिक टाउनशिप गाजियाबाद

वर्तमान में स्थल पर राजस्व अधिकारियों द्वारा बिल्डरों के प्रतिनिधियों के सामने पैमाइश कराई गई तो वास्तविकता सामने आ गई। मौके पर खंभे भी गाड़ दिए गए हैं, जिससे स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है। इसके बावजूद भी के जीडीए के अधिकारी गलत तरीके से स्वीकृत किए गए नक्शों का निरस्त करने की बजाए बिल्डरों की पैरोकारी कर रहे हैं। पीड़ितों ने बताया कि क्रासिंग रिपब्लिक की पुनरीक्षित डीपीआर को वर्ष 2017 में बिना स्वामित्व परीक्षण किए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृति दी गई है। क्रासिंग रिपब्लिक के भूखंड संख्या जीएच-1, जीएच-12 व जीएच-14 में एप्रोच रोड व दोनों भूखंड़ों के अधिकतम भाग में स्वामित्व हम लोगों का है। इन तीनों भूखंडों पर वर्ष 2017 में अनेकों बार नक्शा स्वीकृति हेतु प्राधिकरण में बिल्डरों द्वारा आवेदन किया गया था लेकिन ईमानदार तकनीकी अधिकारियों द्वारा स्वीकृति हेतु वास्तविकता व विद्यमान नियमों के चलते स्वीकृति हेतु अग्रसारित नहीं किया। वर्तमान में भी जब बिल्डरों द्वारा नीचे के प्राधिकरण के अभियंताओं से सेटिंग कर स्वीकृति हेतु आवेदन भेजा गया तो उपाध्यक्ष द्वारा तमाम आपत्तियां लगाई गईं। पता चला है कि एक दलाल के द्वारा ऊपर तक सेटिंग करा दी गई। जिसके बाद मुख्य नगर नियोजक आशीष शिवपुरी, नगर नियोजक राजीव रत्न शाह व नियोजन अनुभाग में तैनात अवर अभियंता राम मनोहर द्वारा स्वीकृति हेतु अग्रसरित कर बिना स्वामित्व व बिना एप्रोच रोड के तीनों भूखंडों के नक्शे आनन-फानन में स्वीकृत करा दिए।

अफसर-बिल्डर गठजोड़ से खत्म हो जाएगी लोगों की गाढ़ी कमाई

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा नियमों को ताक पर रखकर स्वीकृत किए गए नक्शों के आधार पर सुपरटेक, पंचशील व एसोटैक बिल्डर द्वारा वित्तीय संस्था से लोन लिया जा रहा है व भूखंड आमजन को बेचे जा रहे हैं। ऐसे में लोन देने वाली संस्था व आमजन की गाढ़ी कमाई प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से फंसना तय है।

सैकड़ों करोड़ के चकरोड काे निगल गया बिल्डर-अधिकारी गठजोड़

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण

डूंडाहेड़ा गांव के निवासी बताते हैं गांव में करीब 30-40 फुट चकरोड थी लेकिन क्रासिंग रिपब्लिक के बिल्डर व जीडीए अधिकारी पूरी चकरोड को निगल गए। सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। क्रासिंग रिपब्लिक में कब्जाई गई चकरोड की कीमत करीब 700 करोड़ रुपये है। इसके अलावा जीडीए के अधिकारियों व बिल्डर गाजियाबाद के अन्य गांवों की चकरोड को भी निगल गए। का्रसिंग रिपब्लिक समेत वेव सिटी, राजनगर एक्सटेंशन व अन्य इलाकों में कब्जा की गई चकरोड की कायदे से जांच हो जाए तो पूरा घोटाला पांच हजार रुपये रुपये से भी अधिक का निकलेगा।

इन जगहों पर किया गया चकरोड कब्जाने का बड़ा खेल  

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से महागुन बिल्डर ने महागुन मानटेज प्रोजेक्ट का सैटबैक का क्षेत्र डूंडाहेड़ा गांव रास्ते में दर्शाकर नक्शा पास कराया और बेशकीमती सरकारी जमीन अवैध रूप से बहुमंजिला इमारत बना रहा है।

– पंचशील बिल्डर ने पंचशील स्क्वायर मॉल डूंडाहेड़ा गांव के रास्ते की ज़मीन पर अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर बनाया। इसके अलावा पंचशील बिल्डर ने पंचशील वेलिंग्टन सोसायटी के अपने प्लाट का कुछ भाग गार्डेनिया स्क्वायर को बेचा। जिस पर पंचशील व गार्डेनिया स्क्वायर बिल्डर ने बिना सैटबैक छोड़े नक्शे पास कराए और अवैध रूप बहुमंजिला इमारत बनाई।

– सुपरटेक बिल्डर ने सुपरटेक लिविंग्स्टन के नाम से जो ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाया है। उसमें भी डूंडाहेड़ा गांव के रास्ते की जमीन कब्जाकर कई बहुमंजिला टावर का निर्माण किया गया।

– पैरामाउंट बिल्डर, प्रतीक बिल्डर, एसोटेक बिल्डर, सैम रेजिडेन्सी, स्काई टेक, बुलंद हाइट बिल्डर ने जो ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाया है, उसमें भी डूंडाहेड़ा गांव के रास्ते की जमीन कब्जाकर कई बहुमंजिला टावर का निर्माण किया गया।

सीबीआई-विजिलेंस जांच हो जाए तो सामने आ जाएंगे कारनामे

मुख्यमंत्री पोर्टल उत्तर प्रदेश

क्रासिंग रिपब्लिक में बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए जीडीए अधिकारियों की कारगुजारी की सीबीआई या विजिलेंस जांच की मांग उठ रही है। सीबीआइ या विजिलेंस जांच में जीडीए अफसरों की कारनामों से पर्दा उठ जाएगा और उस स्थिति सबका फंसना तय है।

खबरची ब्यूरो 

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