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त्रासदी: आजाद भारत की एक तस्‍वीर ऐसी भी, यूपी के बरेली में जब बरसते हैं बादल तो डीजल-पेट्रोल से इंसानी शवों को खाक करते हैं मजबूर लोेग

बरेली/ नवाबगंज। बरसते सावन क‍िसे अच्‍छे नहीं लगते। मगर आधुन‍िक भारत के ल‍िए ये त्रासदी ही कही जाएगी क‍ि यूपी के इस इलाके में बरसते सावन इंसान तो इंसान, बल्‍क‍ि पार्थिव इंसानी शरीरों को भी खून के आंसू रुला रहे हैं। ये उस बरेली की सत्‍य कथा है, जो लखनऊ-द‍िल्‍ली के ब‍िल्‍कुल मध्‍य में बसा है और चमकती सरकारों के चमकने की वजह बनता रहा है। द‍िल दहला देने वाली सच्‍चाई ये है क‍ि रुहेलखंड की धुरी माने जाने वाले बरेली में इंसान सरकार से बेहतर शमशान मांग रहे है। आज की हकीकत ये है क‍ि बादल बरस रहे हैं, इसल‍िए इंसानी शव डीजल-पैट्रोल डालकर जलाने पड़ रहे हैं। 

यूपी के बरेली में बार‍िश के बीच गांववालो को डीजल डालकर मह‍िला के शव का अंत‍िम संस्‍कार करना पड़ गया है, इलाके के लोग गांव में सरकार से शमशान बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।

बरेली ज‍िला मुख्‍यालय से महज 30 और नवाबगंज तहसील  हैडक्‍वार्टर से महज 12 क‍िमी दूर बसा है। तहकीकात करते हुए तह तक जाने को डंड‍िया का पूरा पता जान लेना जरूरी है। ग्राम पंचायत है पनुआ, पोस्‍ट सेंथल तहसील नवाबगंज ज‍िला बरेली और राज्‍य उत्‍तर प्रदेश। डंड‍िया फैजुल्‍ला गांव के लोग सरकार से शमशान की गुहार क्‍यों लगा रहे हैं, ये जानने और समझने के ल‍िए सरकार को इस गांव में जरूर जाना चाह‍िए। 

बरेली में क‍िसान की पत्‍नी लक्ष्‍मी का रव‍िवार रात न‍िधन हो गया था।

बार‍िश का द‍िन था और गांव में एक घर से आज मनहूस खबर सामने आई थी। क‍िसान दीपक कुमार की पत्‍नी लक्ष्‍मी अचानक चल बसी थी। कुछ द‍िन पहले प्रसव हुआ था और उसके बाद ऐसी हालत ब‍िगड़ी क‍ि जान नहीं बचाई जा सकी। मनहूस खबर सामने आने से पहले ही आसमान में बादल मंडरा रहे थे। सामाज‍िक परंपरा न‍िभाते हुए रोते-ब‍िलखते घरवालों लक्ष्‍मी के अंत‍िम संस्‍कार की तैयारी की। गांववाले भी उनके साथ जुट गए।

बरेली का क‍िसान दीपक ज‍िसकी पत्‍नी लक्ष्‍मी का न‍िधन हुआ।

लक्ष्‍मी की च‍िता सजी और पत‍ि ने रुदन के माहौल में पत्‍नी को मुखाग्‍न‍ि दी। मगर अचानक मौसम ब‍िगड़ गया। बार‍िश शुरू हो गई। खुला आसमान, बरसते बादल और सुलगती च‍िता…। संसाधनहीन गांववाले क्‍या करते, लक्ष्‍मी के अंत‍िम संस्‍कार में मौसम की बाधा दूर करने ल‍िए ज‍िसे जो दीखा, वो जतन क‍िया। सुहाग‍िन लक्ष्‍मी की च‍िता को बार‍िश से बचाने के ल‍िए कोई घर से त्र‍िपाल लाया तो कोई छाता ही उठाया लाया। मगर ये जतन काम कहां आने वाले थे। बार‍िश तेज हुई और च‍िता बुझने की हालत में पहुंच गई। बेबस इंसानों को ऐसे बुरे वक्‍त कलेजे पर पत्‍थर रखकर कड़वा फैसला लेना पड़ा। गांव के ट्रैक्‍टर-इंजन वालों से डीजल मांगकर लक्ष्‍मी की च‍िता जलानी पड़ी। अंत‍िम संस्‍कार पूरा हुआ मगर यह सब कुछ करते-करते गांववालों का गुस्‍सा उनकी जुबान पर आ गया। 

एक थी लक्ष्‍मी

गांववालों ने अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने को डीजल से इंसानी से अंत‍िम संस्‍कार का सच मोबाइल में कैद कर ल‍िया। पढ़े ल‍िखे नौजवानों ने स्‍याह सच सोशल मीड‍िया पर वायरल कर द‍िया। सच्‍चाई सामने आते ही टीम खबरची ने गांव के मौजूदा प्रधान इमाम खां से फोन पर संपर्क कर हालात उसकी जुबानी जानने चाहे। आज का प्रधान बोला, ज‍िस गांव में मौता हुआ, 15 बरस उसी गांव का प्रधान रहा था। उसने शमशान नहीं बनवाया तो 3 महीने में क्‍या कर दूंगा। गांव के पूर्व प्रधान को फोन क‍िया तो उसने जवाब द‍िया क‍ि उसे नहीं मालूम गांव में कौन मर गया। अभी तो वह कहीं बाहर है। गांव के क‍िसान राजीव ने टीम खबरची को बताया क‍ि बार‍िश के मौसम में डीजल-पेर्टोल से इंसानी शव जलाना हम गांववालों की मजबूरी है।

लक्ष्‍मी का नवजात बेटा

बार‍िश के बीच लक्ष्‍मी का अंत‍िम संस्‍कार करने में आज 15 लीटर डीजल खर्च हो गया। गांववालों ने सोशल मीड‍िया पर अंत‍िम संस्‍कार का सच बयां करते हुए चीख-चीखकर कहा है क‍ि उनके यहां श्‍मशान घोटाला हुआ है। पैसा आया और गायब हो गया। सरकार कुछ न करे, बस उनके गांव में बेहतर श्‍मशान बनवा दे। ज‍िस द‍िन ऐसा हो जाएगा, उनके गांव में इंसान शव बरसते सावन में अंत‍िम संस्‍कार के ल‍िए डीजल-पेट्रोल के ल‍िए मोहताज नहीं रहेंगे। 

15 लीटर डीजल से हुई लक्ष्मी की अन्त्येष्टि
दीपक की पत्नी लक्ष्मी का रविवार की रात को देहांत हो गया। लक्ष्मी का अंतिम संस्कार करने को लोग शमशान भूमि ले गए, अभी अन्त्योष्टि के लिए चिता तैयार भी नही हुई कि सावन के मेघ बरसने लगे और अन्त्योष्टि के लिए लाया गया ईधन गीला हो गया। गांव वाले भाग कर तिरपाल लेकर आए और चिता के ऊपर ताना उसके बाद दीपक ने चिता को मुखाग्नि दी लेकिन ईधन गीला होने के साथ ही बरसते मेघा के चलते चिता नही जल सकी। अन्त्येष्टि करने को गांव से डीजल लाया गया वह भी एक दो लीटर नही करीब पन्द्रह लीटर।

तीन घंटों मे हो पाया मह‍िला का अंत‍िम संस्‍कार
बरसते सावन के बीच लक्ष्मी की अन्त्योष्टि जो शुरू की गई उसे पूरा करने में पूरे तीन घंटे लगे। इस दौरान अन्त्योष्टि करने आए लोग अन्तिम क्रियाएं पूरी कराने का जूझते नजर आए।

डेढ़ माह पूर्व दिया था बेटे को जन्म, नामकरण की रात निधन
लक्ष्मी ने डेढ़ माह पूर्व नवाबगंज के एक हाॅस्पिटल में बेटे को जन्म दिया था। इसके बाद उसे फीवर हो गया। बुखार उसकी जान का दुश्मन बन गया। रविवार 8 अगस्त को दिन में नामकरण संस्कार हुआ और इसी रात मासूम के सिर से मां का साया उठ गया। घर की खुशियां मातम में बदल गयीं।

खबरची न्यूज के ल‍िए बरेली से अज‍ित म‍िश्रा और अनूप गुप्‍ता की र‍िपोर्ट। 

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