बरेली। दिल्ली के सत्तारूढ़ दरबार से सामने आ रही इस खबर पर यकीन करें तो निक ट भविष्य में बरेली की चुनावी राजनीति में बड़ा उलटफेर होने के आसार बन रहे हैं। भाजपा हाईकमान ने भारत ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया में ‘बिजनेस स्टार’ माने जाने वाले राहुल जौहरी को सियासत का सितारा बनाने की रणनीति बनाई है। राहुल बरेली के रहने वाले हैं और यूपी के कद़दावर राजनेता एवं कल्याण सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. दिनेश जौहरी के बेटे हैं। राहुल इस समय प्रेसीडेंट (बिजनेस) साउथ एशिया जी इंटरटेनमेंट हैं। गृहमंत्री भारत सरकार अमित शाह के सुपुत्र एवं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सचिव जय शाह के साथ राहुल जौहरी बीसीसीआई के सीईओ रह चुके हैं। यदि वह हां करते हैं तो ये सियासी कहानी बहुत आगे जा सकती है। पार्टी कैंप में राहुल जौहरी का नाम चर्चा में आने के बाद बरेली शहर के कई नेता टेंशन में हैं।
भाजपा के अंदर से बाहर निकल रही इस खबर में इसलिए भी ज्यादा दम लग रही है, क्योंकि संगठन में राहुल जौहरी के नाम को लेकर मंत्रणा के दौर शुरू हो चुके हैं। पार्टी संगठन से जुड़े सूत्रों ने टीम खबरची को इस बारे में पुख्ता जानकारी देते हुए बताया है कि भाजपा हाईकमान राहुल जौहरी के शानदार प्रोफाइल और उनके परिवार की कई दशक तक चुनावी राजनीति में रही मजबूत पकड को देखते हुए बरेली में नई सियासी संभावना देख रहा है। राहुल के पिता डॉ. दिनेश जौहरी यूपी में भाजपा की राजनीति का बड़ा नाम रहे हैं। बरेली शहर से वह 3 वार विधायक रह चुके हैं और कल्याण सिंह की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी। तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंंह से मनमुटाव के चलते डॉ. दिनेश जौहरी को मंत्री पद गंवाना पड़ा था। उसके बाद से वह सियासी तौर पर शांत जरूर हैं मगर भाजपा में रहते हुए राजनीति पर अपनी पेनी नजर रखते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी, राजमाता स्व. विजयाराजे सिंधिया के करीबी रहे दिनेश जौहरी के सुपुत्र राहुल जौहरी अभी तक कोई राजनैतिक प्रोफाइल नहीं है मगर वह भारत ही नहीं बल्कि पूरे साउथ एशिया में बिजनेस वर्ल्ड का बड़ा नाम माने जाते हैं। शेरवुड स्कूल नैनीताल से स्कूलिंग के बाद उन्होंने एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। राहुल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के प्रथम सीईओ, डिस्कवरी नेटवर्क के साउथ एशिया हेड रह चुके हैं। आजतक, आउटलुक, हिन्दुस्तान टाइम्स जैसे बड़ी मीडिया समूहों को भी अपनी सेवाएं दे चुके राहुल जौहरी अभी जी इंटटेनमेंट साउथ एशिया के प्रेसीडेंट (बिजनेस) का पद संभाल रहेे हैैं ।
भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में पार्टी राहुल जौहरी को बरेली शहर की राजनीति में उतारने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि हाईकमान के स्तर को बरेली पर फोकस करने को कहा है। राहुल अगर हामी भरते हैं वह भाजपा का चुनावी राजनीति में पदार्पण कर सकती हैं। ऐसा हुुुुआ तो बरेली की राजनीति में उलटफेर देखने को मिल सकता है। भाजपा कैंप में येे खबर हर तरफ तैर रही है।
कल्याण सिंह से गहरे मतभेद में डॉ. दिनेश जौहरी ने स्वास्थ्य मंत्री की कुर्सी
राहुल जौहरी के पिता डॉ. दिनेश जौहरी बरेली शहर विधानसभा सीट से 1984 में विधायक बने। उस यूपी में भाजपा के पास सिर्फ 14 विधायक थे, जिनमें एक डॉ. जौहरी भी थे। वह 3 बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। तत्कालीन कल्याण सिंंह सरकार में वह स्वास्थ्य मंत्री बने थे। इसके बाद किसी बात को लेकर कल्याण और डा. दिनेश में खाई पैदा हो गई और इसके चलते उनको मंत्री पद गंवाना पड़ा था। उसी के बाद राजेश अग्रवाल बरेली की राजनीति में आए और पहले शहर और बाद में कैंट से एमएलए बनते आ रहे हैं। डा. दिनेश उसके बाद कुछ समय सपा मेें गए मगर जल्दी ही उनकी वापसी भाजपा बड़े नेताओं ने पार्टी में करा दी थी। करीब दो दशक से डा. दिनेश जौहरी राजनैतिक रूप से सक्रिय नहीं है मगर भाजपा में रहकर वह सियासत पर अपनी पैनी नजर रखते हैं।
शहर-कैंट पर बदलाव चाह रहे भाजपाई, पार्टी हाईकमान ने निगाह लगाई
भाजपा संगठन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बरेली शहर और कैंट के साथ जिले में कुछ ओर विधानसभा सीटों पर बदलाव हो सकता! प्रांतीय नेतृत्य विधायकों के बारे में संगठन से लगातार इनपुट ले रहा है। वैसे तो अभी 2022 चुनाव की टिकटों को लेकर सभी चुप्पी साधे हैं मगर अंदरखाने पुराने और नए चेहरों पर को लेकर चर्चाएं जरूर हो रही है। भगवा कैंप में हो रहीं चर्चाओं का सारांश ये है कि बरेली में कई सीटों पर नए चेहरों को मौका मिल सकता है। बरेली शहर, कैंट, बिथरी, फरीदपुर, आंवला, बहेड़ी इस तरह की चर्चाओं का केन्द्र बन रहे हैं। कैंट से भाजपा के एक प्रमुख ब्राह़मण नेता का नाम चल रहा है। कैंट से उसी प्रमुख चेहरे ने अपना चुनावी होमवर्क भी शुरू कर दिया है, इससे बिथरी को लेकर नई बहस छिड़ रही है। पार्टी का सूत्रों का कहना है कि जिले में एक ही सीट पर भाजपा ब्राहमण चेहरे पर दांव लगाएगी। कैंट से यह समीकरण बनता है तो बिथरी पर उसका प्रभाव होगा, जहां से मौजूदा एमएलए ब्राह़मण हैं। बरेली शहर सीट पर कायस्थ समीकरण यथावत रहेगा, हालांकि चेहरा बदल सकता !
खबरची ब्यूरो