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बरेली के व‍िधायक केसर स‍िंंह गंगवार को तहसीलदार ब‍िल्‍कुल पसंद नहीं, जानें क्‍या है वजह

बरेली। क्‍या यूपी में स‍िस्‍टम इतना ताकतवर है क‍ि सत्‍तारूढ़ भाजपा के व‍िधायकों की आवाज भी दब जा रही है। बरेली में नवाबगंज क्षेत्र के व‍िधायक तहसीलदार की कारगुजार‍ियों से इतने परेशान हैं क‍ि उन्‍हें डीएम को खुुुुला पत्र ल‍िखकर इस अफसर के ख‍िलाफ दूसरी बार कार्रवाई की मांग करनी पड़ी है। व‍िधायक का कहना है क‍ि तहसीलदार के कार्यालय में बगैर पैसे के जनता का कोई काम नहीं होता। व‍िधायक की श‍िकायत पर डीएम ने एडीएम प्रशासन को जांच जरूर सौंप दी है मगर योगी राज में स‍िस्‍टम की इस कहानी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

केसर स‍िंंह गंगवार बरेली के नवाबगंज क्षेत्र से भाजपा के व‍िधायक हैं। केसर पहले बसपा एमएलसी रहे हैं और उनके पर‍िवार की उषा गंगवार बरेली ज‍िला पंचायत की लालबत्‍ती धारी अध्‍यक्ष। रुतबे की बात करें तो दल और सरकार कोई भी हो मगर केसर स‍िंंह हमेशा से हनक के ल‍िए पहचाने जाते रहे हैं। यह पहला मौका है क‍ि वह अपने ही क्षेत्र नवाबगंज में एक तहसीलदार से परेशान होकर उनके ख‍िलाफ कार्रवाई के ल‍िए डीएम को खुला पत्र ल‍िखनेे को मजबूर हुए हैं। पत्र तो पहले भी ल‍िखा था मगर तहसीलदार के ख‍िलाफ कार्रवाई नहीं हुई। परेशान व‍िधायक को मजबूर होकर दूसरा पत्र ल‍िखना पढ़ा है।

पत्र की कहानी क्‍या है, खबर हूबहू आपको बताता है। भाजपा के नवाबगंज व‍िधायक केसर स‍िंंह गंगवार ने डीएम बरेली को सौंपे पत्र में कहा है: 14 जुलाई 2020 को द‍िए मेरे पत्र का संज्ञान लेने का कष्‍ट करेें, ज‍िसके माध्‍यम से आपको अवगत कराया गया था क‍ि तहसीलदार नवाबगंज अपने उत्‍तर दाय‍ित्‍वों के प्रत‍ि ब‍िल्‍कुल भी जागरुक नहीं हैं। कोरोना महामारी के दौरान नवाबगंज के गरीब और प्रवास‍ियों को भोजन उपलब्‍ध कराने के ल‍िए सरकारी क‍िच‍िन चलाई गई थी। उस क‍िच‍िन में नाम मात्र के ख‍िचड़ी जैसे भोजन बनाकर रोड क‍िनारे झोंपड़ी में रहने वालों को व‍ितरण क‍िया जाता था। नवाबगंज में कभी भूखे प्‍यासे उन गरीबों की च‍िंंता नहीं की गई, वास्‍तव में रोटी के ल‍िए परेशान थे।

व‍िधायक नेे ल‍िखा है: दाख‍िल खार‍िज, आय, जा‍त‍ि व हैस‍ियत प्रमाणपत्रों की पत्रावल‍ियां, तालाब मत्‍स्‍य पालन आद‍ि के काम भी वहीं (तहसील) में होते हैं, ज‍िनमें लेन-देन हो जाता है। आम जनता अपनेे आय-जात‍ि सम्‍बंधी कागजों को बनवाने के ल‍िए चक्‍कर काटती रहती है। उनका (तहसीलदार) आचरण एवं व्‍यवहार जनता के प्रत‍ि बेहद उदासीन है। 13 जुलाई 2020 को ग्राम मानकपुर के दो बच्‍चे उम्र 22 व 18 वर्ष नदी में डूब गए थे। उप ज‍िलाध‍िकारी अवकाश पर होने के कारण घटना की सूचना इन्‍हें (तहसीलदार को) दी गई।

लोगों के डूबने और सर्प दंश से मौत जैसी गंभीर घटनाएं होनेे के बाद भी ये (तहसीलदार) कभी क्षेत्र में जाने की जहमत नहीं उठाते हैं। दाख‍िल खार‍िज, पट़टा, आय, जात‍ि सम्‍बंधी प्रकरणों की पत्रावल‍ियों की जांच कर यह देखा जा सकता है क‍ि तहसीलदार नवाबगंज अपने उत्‍तरदाय‍ित्‍वों के प्रत‍ि क‍ितनेे सजग हैं। अत: जनह‍ित में ऐसे उदासीन अध‍िकारी की अन‍ियम‍ितताओं की जांच कर आवश्‍यक कार्रवाई करने का कष्‍ट करें…धन्‍यवाद। व‍िधायक की श‍िकायत पर डीएम ने मामले की जांच एडीएम प्रशासन को सौंपी है। डीएम ने व‍िधायक के श‍िकायतीपत्र पर अपने आदेश में ल‍िखा है-एडीएम न‍ियमानुसार कार्रवाई करें। अब देखना ये है क‍ि नवाबगंज व‍िधायक और तहसीलदार के बीच शुरू हुई यह जंग आगे क‍िस मोड़़ पर पहुंचती हैैै। शासन-प्रशासन व‍िधायक की श‍िकायत पर तहसीलदार के ख‍िलाफ कार्रवाई करता है या ये कहानी स‍िर्फ लेटर-लेटर के खेल में ही उलझकर रह जाती है !

रात 8 बजे बाद फोन न करना, तहसीलदार सो जाते हैं 

व‍िधायक केसर स‍िंंह गंगवार के आरोपों को लेकर खबरची टीम ने तहसीलदार नवाबगंज से उनका पक्ष जानने के ल‍िए फोन पर बात करने की कोश‍िश की। बात करने के ल‍िए तहसीलदार नवाबगंज प्रदीप रमन का कई बार फोन म‍िलाया गया मगर कॉल र‍िसीव नहीं हुई। बाद में व‍िभागीय सूत्रों ये जानकारी हुई क‍ि तहसीलदार रात 8 बजे के बाद क‍िसी का फोन नहीं उठाते। फ‍िर चाहे कोई तोप हो।

खबरची/ एएन शर्मा-जफरुद़दीन मंसूरी 

 

 

 

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