नवाबगंज/बरेली। सियासत के खेल की माहिर खिलाड़ी नवाबगंज चेयरमैन शहला ताहिर अपने घर में चुपके-चुपके चली जा रहीं शौहर और सौतन की चालों को नहीं समझ सकीं। राजनीति-कूटनीति में हर मोर्चे पर उनके साथ कदम से कदम मिलाकर खड़े रहने वाले पति डा. ताहिर कब खुद की उम्र से बहुत छोटी गुलनाज के हो गए, शहला को इसकी कानों-कान भनक नहीं हुई। जब तक बात खुली, कहानी बहुत आगे बढ़ चुकी थी। विरोधियों के हर सवाल का मुखर जवाब देने वाली शहला अब रिश्तों में उठे ज्वार को लेकर मौन नजर आ रही हैं। शहला जरूर शांत हैं मगर सौतले की मां के खिलाफ उनकी बेटी समन मुखर होकर हल्ला-बोल रही हैं।
सत्ता के गलियारों में शहला ताहिर की पकड़ जानता नहीं कौन
नवाबगंज चेयरमैन शहला ताहिर की सत्ता के गलियारों में पकड़ बरेली से जुड़ा हर खास और आम जानता है। समाजवादी पार्टी में कभी नंबर-2 की हैसियत रखने वाले शिवपाल सिंह यादव के दरबार में शहला ताहिर की पैठ बहुत मजबूत रही है। शिवपाल का आर्शीवाद शहला की बड़ी ताकत रहा है। बेटी समन ताहिर सियासत की राह में उनकी शुरू से हमसफर रही हैं और मां की तरह ही राजनीति की बारीकियों को समझ रही हैं। बड़े नेताओं से सियासी मुलाकात के वक्त समन हमेशा शहला के साथ खड़ी नजर आती हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव से अलग होकर शिवपाल ने जब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई तो उन्होंने बरेली लोकसभा सीट से भाजपा के दिग्गज चेहरे संतोष गंगवार और सपा के महारथी भगवत सरन गंगवार के खिलाफ नवाबगंज चेयरमैन की बेटी समन ताहिर को मैदान में उतारा था। समन राजनीति अभी राजनीति का ककहरा सीख रहीं थी तो चुनावी राजनीति का ज्ञान उन्होंने लोकसभा की लड़ाई के साथ सीखा।
डा. ताहिर ने खाई शिकस्त तो शहला ने जीता मैदान, विरोधियों के उखाड़े पैर
शहला ताहिर 1995 से अपने राजनैतिक विरोधियों को हर मोर्चे पर शिकस्त देती आ रही हैं। शहला ने बीएसपी से नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष का चुनाव लड़ा बीजेपी के रवेन्द्र सिंह राठौर की पत्नी पुष्पा राठौर को हराया। उसके बाद दो चुनाव शहला केे शौहर डा. ताहिर लड़े जनता ने उन्हें नकारा दिया। जीत रविन्द्र सिंह राठौर के हाथों में 2012 में हुए पालिका के चुनाव में फिर खुद शहला मैैैैदान मेें उतरींं और विरोधी खेमे को करारी शिकस्त दी। 2017 का चुनाव भी शहला का विजय रथ नहीं रुका और फिर नवाबगंज की चेयरमैन बनीं। अबकी बार उनका मुकाबला भाजपा जिलाध्यक्ष रविन्द्र सिंंह राठौर छोटे भाई नीरेंदर सिंह राठौर की पत्नी सेे मगर शहला की चालों का जवाब पूरे जिले की भाजपा मिलकर भी नहीं खोज सकी। पूरा जिला जानता है कि भाई की पत्नी की पराजय से आहद भाजपा तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष रविन्द्र राठौर लंबे अज्ञातवास में चले गए थे और बहुत खोजने पर मुश्किकल से किसी आश्रम में रहते मिले थे।
शहला ने बेटी समन को सिखाए राजनीति के मंत्र, दिग्गजों के खिलाफ लड़ाया चुनाव
पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त सपा में आपसी घमासान मचा था। एक समय ऐसा भी आया कि शिवपाल खेमे ने सपा उम्मीदवारों की अपनी सूची भी जारी कर दी। शिवपाल की सूची में नवाबगंज से 5 बार के विधायक दिग्गज नेता भगवत सरन गंगवार का टिकट काटकर शहला ताहिर को थमा दिया गया था। हालांकि अखिलेश यादव बाद में सपा प्रमुख का पद संभालकर फिर से उस वक्त के मौजूदा विधायक भगवत सरन को टिकट दिया। इससे नाराज होकर शहला ताहिर ने मौलाना तौकीर रजा खां की पार्टी आईएमसी से विधानसभा चुनाव लड़ा। शहला को 29 हजार वोट मिले। चुनाव भाजपा के केसर सिंंह जीते और क्षेत्र में मजबूत पकड़ होने के बाद भी सपा से भगवत सरन शिकस्त खा बैठे। शहला ने इसके बाद बेटी समन को चुनावी राजनीति में उतार दिया और शिवपाल की पार्टी प्रसपा से बरेली लोकसभा सीट से टिकट दिलाकर चुनाव लड़ाया। समन को महज ढाई हजार वोट जरूर मिले मगर इससे शहला और उनकी बेटी समन की राजनैतिक महत्वाकांक्षा को सबने देख लिया।
सौतेली मां के खिलाफ मां की आवाज बनींं समन, कर रहीं हल्ला-बोल
राजनीति के मोर्चे पर शौहर डा. ताहिर हमेशा शहला का साया बनकर रहते थे। राजनीति की राह में कोई भी बड़ा फैसला लेने कभी परहेज नहीं करने वालीं शहला कई मुकदमों में भी फंस चुकी हैं। एक मामले में उनको जेल भी जाना पड़ा था। शौहर डा. ताहिर और बेटी समन ने उस वक्त शहला की पैरवी में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ऐसी ही कहानी डा. ताहिर के खुद विवादों में फंसने दौ रान देखी गई, जब शहला ने खुद मोर्चा संभालकर विरोधियों के हमले का जवाब दिया। क्या कोई सोच सकता था कि बरेली से लखनऊ तक अपनी अलग शैली में राजनीति करने वालीं शहला ताहिर की जिंंदगी में ऐसे समय उनके शौहर डा. ताहिर तीसरी पत्नी के रूप में गुलनाज को ले जाएंगे, जब बच्चे खुद राजनीति की अखाड़े में किस्मत आजमा रहे हों। शहला के पारिवारिक सूत्र बताते हैैं कि शौहर ताहिर और गुलनाज के निकाह की सच्चाई सामने आने से शहला सदमे में हैं।
सौतन का दर्द ऐसा कि मुखर शहला हुईं मौन, शौहर ने भी साधी चुप्पी
सौतन का दर्द शहला के मौन की वजह बन गया है। हालांकि सगी मां की आवाज बनकर बेटी समन ने सौतेली मां गुलनाज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शहला-ताहिर के परिवार की कहानी फिलहाल ऐसेे रास्ते पर आगे बढ़ रही है, जहां टकराव तेज होने की हालत में दोनों ओर सिवाय नुकसान के कुछ हासिल नहीं होने वाला! बात यहां रिश्तों में ईमानदारी की उठ रही है तो बेटी समन ने पिता डा. ताहिर के गुलनाज सेे निकाह करने का यह कहते हुए विरोध किया है कि 56 की उम्र शादी के लिए नहीं होती ?
एएन शर्मा/ अजय शर्मा