बरेली। सियासत, विरासत और बनते-बिगड़ते रिश्तों की यह कहानी चर्चित गांव त्रिकुनिया की उस चौपाल से निकलती है, जहां अबकी तगड़ा चुनावी घमासान देखने को मिला। पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव चाहकर भी पैतृृृक गांव की प्रधानी की कुर्सी अपने पाले में नहीं कर सके। वीरपाल सिंह अपने करीबी भतीजेे विनोद यादव को प्रधान बनवाना चाह रहे थे मगर वह चुनाव हार बैैैैठे। जीत का परचम पूर्व ब्लॉक प्रमुख आदेश यादव गुड़डू के भाई भुवनेश यादव ने फहराया और अनुज बधूू प्रियंका यादव जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई हैं।
लहर-त्रिकुनिया की प्रधानी का ताज अबकी बार युवा नेता भुवनेश यादव के नाम
लहर-त्रिकुनिया ग्राम पंचायत के प्रधान की कुर्सी पर काबिज हुए भुवनेश यादव ने न सिर्फ अपने सगे चचेरे भाई विनोद यादव को परास्त किया, बल्कि भाजपा जिलाध्यक्ष वीरसिंह पाल के भाई शिवकुमार को भी पटखनी देकर सियासी सनसनी फैला दी। शिवपाल सिंंह यादव की प्रसपा के यूपी मुख्य महासचिव वीरपाल के छोटे भाई रामभाग सिंंह यादव के छोटे बेटे और आलमपुर जाफराबाद के पूर्व ब्लॉक प्रमुख आदेश यादव गुड़डू के अनुज भुवनेश यादव प्रधानी की विरासत पिता से अपने नाम की, जो 2015 में गांव के निर्विरोध प्रधान बने थे।
भुवनेश-प्रियंका: पति ग्राम प्रधान तो पत्नी जिला पंचायत सदस्य बनकर उभरीं
वीरपाल सिंंह व उनके भाई रामभाग सिंंह के परिवार में पैदा हुई सियासी दूरियों के बीच दोनों ही परिवार पूरी ताकत से पंचायत चुनाव के रण में उतरे थे। एक ओर जहां वीरपाल ने अपनी पुत्रबधू कंचन यादव जिला पंचायत वार्ड-41 से चुनाव लड़ाया, वहीं अपने भाई गन्ना सोसाइटी के चेयरमैन रामकुमार सिंंह यादव के बेटे विनोद यादव को पैत्रिक गांव त्रिकुनिया से प्रधानी के रण में उतारा था। दूसरी ओर, रामभाग सिंंह के छोटे बेटे भुवनेश यादव की पत्नी प्रियंका यादव जिला पंचायत वार्ड-43 से मैदान में आईं। इसके साथ ही भुवनेश ने गांव से प्रधानी का चुनाव लड़ा। भुवनेश व प्रियंका के चुनावी रणनीतिकार थे बड़े भाई पूर्व ब्लॉक प्रमुख आदेश यादव गुड़डू। वहीं, पुत्रबधू कंचन यादव व भतीजे विनोद की चुनावी कमान पूर्व सांसद वीरपाल यादव व उनके करीबियों ने संभाली। वीरपाल की पुत्रबधू कंचन यादव दूसरी बार जिला पंचायत का चुनाव जीतने में कामयाब तो रहीं मगर कड़े मुकाबले में फंसकर। ऐसे ही रामभाग सिंंह की पुत्रबधू और आदेश यादव की अनुज बधू प्रियंका यादव ने जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर राजनीति में धमाकेदार एंट्री दर्ज कराई। उनके पति भुवनेश भी प्रधानी जीतकर इलाके में सियासी हीरो बनकर उभरे हैं।
रामभाग सिंह यादव : सियासत में विरासत के सवाल पर बेटे-बहू कर रहे कमाल
कद़दावर नेता वीरपाल सिंंह यादव छह भाइयों में सबसे बड़े हैं। तीसरे नंबर के रामभाग सिंंह यादव 1995 में लहर त्रिकुनिया के प्रधान बने थे। फिर वह 2000 में ही जीते। 2005, 2010 और 2015 में निर्विरोध निर्वाचित हुए। 2005 से 2010 तक रामभाग सिंंह की पत्नी मुन्नी देवी आलमपुर जाफराबाद की ब्लॉक प्रमुख रहीं। 2010 में उनके ज्येष्ठ पुत्र आदेश यादव गुड़डू ब्लॉक प्रमुखी कुर्सी पर काबिज हुए और उसके बाद 2019 तक लगातार प्रमुख रहे। हाल में हुुुए पंचायत चुनाव में आदेश गुड़डू ने खास रणनीति के साथ छोटे भाई भुवनेश को गांव की प्रधानी और अनुज बधू प्रियंका यादव को जिला पंचायत चुनाव लड़ाया। खास बात ये है कि गुड़डू की कुशल रणनीति के चलते परिवार ने दोनों ही चुनाव में बाजी मार है।
‘ ताऊ वीरपाल सिंह विरोध कर रहे मगर जनता का आर्शीवाद हमें आगे बढ़ा रहा ‘
पूर्व ब्लॉक प्रमुख आदेश यादव गुड़डू को लेकर सियासी हलकों में ये बात सबकी जुबान पर है कि कि अपने पूर्व सांसद ताऊ वीरपाल सिंंह यादव से दूरियांं बनने के बाद भी वह राजनीति में लगातार अपनी ताकत दिखा रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। 2017 में वीरपाल सिंंह ने ही भतीजे आदेश यादव का बिथरी से समाजवादी टिकट के लिए आवेदन कराया था। पारिवारिक सूत्र बताते हैं कि उस वक्त सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आदेश से कहा भी था कि युवा ताकत होने की वजह से तुम चुनाव जीत सकते हो। हालांकि बाद मेें बाद में पार्टी ने ताऊ वीरपाल सिंंह को टिकट दे दिया। आदेेेेश नेे इसके बाद पूरी ताकत से वीरपाल को चुनाव लड़ाया था मगर वह 9 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए। 2018 में सपा में फूट और वीरपाल सिंंह के प्रसपा में शामिल होने के बाद भतीजे आदेश गुड़डू से उनकी सियासी दूरियां बन गईं। दरअसल, वीरपाल ने जहां शिवपाल का साथ पकड़ा तो आदेश गुड़डू ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के बैनर तले राजनीति करना बेहतर समझा। यहीं से परिवार में ऐसी दरार पैदा हुई कि उसके साइड इफेक्ट आगे साफ देखे भी जाते रहे। ब्लॉक प्रमुख आदेश यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कराने का आरोप ताऊ वीरपाल सिंंह पर ही लगता है। 2018 में आदेश यादव ने अपनी कुर्सी बचा भी ली थी मगर 2019 में उनको पद छोड़ना पड़ा था। हाल में हुए पंचायत चुनाव को लेकर कहा जाता हैै कि जिला पंचायत वार्ड-43 में आदेश यादव की अनुज बधू प्रियंका की राह मुश्किल करने को एक मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा किया गया मगर जनता के आर्शीवाद से चुनाव प्रियंका ही जीतींं। पैत्रिक गांव में आदेेेेश यादव ने प्रधानी का चुनाव अपने छोटे भाई भुवनेश को लड़ाया तो वीरपाल सिंह के समर्थन से उनके भाई रामकुमार के बेटे विनोद यादव मैदान में कूदे। आमने-सामने के मुकाबले में यहां भी बाजी भुवनेश यादव के हाथ रही और विनोद के हिस्से में हार आई। इतना ही नहीं, पड़ोसी गांव झिंंझरी से आदेश यादव के चाचा रामधुन सिंंह यादव के पुत्र उमेश यादव दूसरी बार प्रधान निर्वाचित हुए। रामधुन सिंंह खुद भी 2005 से 2010 तक जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं।
जेठ आदेश गुडडू विधायकी, अनुज बधू प्रियंका जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदार
करीब तीन दशक तक बरेली सपा के जिलाध्यक्ष रहे वीरपाल सिंंह यादव शिवपाल सिंंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया में यूपी के मुख्य महासचिव हैं। अब एक ओर जहां वीरपाल सिंंह ने बिथरी सीट से हर हाल में तीसरी बार चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, वहीं आदेश गुड़डू ने सपा से विधिवत आवेदन कर विधायकी का टिकट मांगा है। वीरपाल सिंंह के प्रसपा में होने की वजह से वैसे भी समाजवादी पार्टी को बिथरी में नए चेहरे की तलाश है और आदेश का बढ़ता राजनैतिक कद उनकी दावेदारी में दम भर रहा है। ऐसे ही उनकी अनुज बधू प्रियंका यादव जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद सपा से बरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष की टिकट की दावेदार बनकर सामने आ रही हैं। परिवार इसके लिए एक ओर जहां हाईकमान स्तर पर प्रयास शुरू कर चुका है, वहीं जिले में जीते सदस्यों से भी मेलजोल बढ़ा रहा है। देखना ये है कि राज राह में लगातार आगे बढ़ रहा रामभाग सिंंह और उनके बेटे आदेश यादव-भुवनेश यादव आगे सियासत में कैसा गुल खिलाते हैं ? पंचायत चुनाव में दोहरेे मोर्चे पर फतह करने वाले इस परिवार की चर्चे सबकी जुबान पर हैं।
खबरची ब्यूरो