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स्‍मृत‍ि शेष: बरेली की राजनीत‍ि में स‍िंंघम की छवि रखते थे पूर्व व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंह, न कभी हारना सीखा न झुुकना, लाइलाज बीमारी से लंबे वक्‍त लड़ते-लड़ते छोड़ी दुनिया

बरेली। क‍िसी भी काल और पर‍िस्‍थ‍ित‍ि में चुनौत‍ियों का सामना करने और जट‍िल से जट‍िल हालात में भी हार नहीं मानने की शैली उन्‍हें सबसे अलग दमदार छव‍ि के राजनेता वीरेन्‍द्र स‍िंंह बनाती थी। ऐसी शख्‍स‍ियत, ज‍िनकी ड‍िक्‍शनरी में न हार मानना शब्‍द था और न झुकना। जब व‍िधायक थे तो हठीले अफसरों को अपने अंदाज में न‍ियम-कायदे में रहकर काम करने की सीख देते थे। कई बार प्रोटोकॉल के बैर‍ियर तोड़ने वाले अध‍िकार‍ियों का बोर‍िया ब‍िस्‍तर भी बंधवाते देते थे। स‍ियासत का खास अंदाज ही था जो लोग उन्‍हें बरेली का हीरो बताते थे और उन्‍हें राजनीत‍ि का स‍िंंघम कहते थे। राजनैत‍ि‍क हनक और खनक ऐसी क‍ि उनके अदने से कार्यकर्ता भी थाने-तहसील में व‍िधायक जैसा सम्‍मान पाते थे। लंबे वक्‍त लाइलाज बीमारी से लड़ते-लड़ते पूर्व व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह आज दोपहर 12:15 बजे दुन‍िया छोड़ गए। और साथ में अपने पीछे छोड़ गए स‍ियासत का वह खाली स्‍थान, ज‍िसकी भरपाई शायद ही कभी हो पाएगी।  

जब वीरेन्‍द्र स‍िंंह ने म‍िनटों में कराया था एसपी देहात का ट्रांसफर 

कद़दावर राजनेता पूर्व व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह के न‍िधन से बरेली की स‍ियासत ऐसा स्‍थान र‍िक्‍त हो गया है, ज‍िसकी भरपाई आसानी से संभव नहीं द‍िखाई देती।

बात उस समय की है, जब 2007 में चुनाव के बाद बसपा ने यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। मायावती मुख्‍यमंत्री बनी थीं और वीरेन्‍द्र स‍िंंह बरेली कैंट से बीएसपी के व‍िधायक। बसपा शासन में बरेली के अंदर एसपी देहात के पद पर एक ऐसे पुल‍िस अध‍िकारी की तैनाती हुई, जो नेताओं की बात मानना तो दूर बल्‍क‍ि पत्रकारों को भी क‍िसी खबर की जानकारी देने में भी अपनी तौहीन समझते थे। उच‍ित काम के ल‍िए व‍िधायक-सांसद उनके कार्यकर्ताओं के हाथ स‍िफार‍िशी पत्र भ‍िजवाते थे तो एसपी देहात तक उनको सबके सामने एक तरफ फेंक देते थे। कार्यकर्ताओं के जर‍िए एसपी देहात की श‍िकायत तत्‍कालीन कैंट व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंह तक पहुंची तो उनकी त्‍यौर‍ियां चढ गईं। उन्‍होंने उसी वक्‍त अपने पीए के जर‍िए एसपी देहात को फोन म‍िलवाया। पीए ने मोबाइल कॉल पर एसपी से कहा क‍ि माननीय कैंट व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह जी आपसे बात करेंगे। इसके बाद फोन व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह के हाथ में आया तो उन्‍होंने हैल्‍लो कहा। उधर से एसपी बोले क‍ि बताइए व‍िधायक जी। एसपी ने जरूरी प्रोॅटोकॉल के ह‍िसाब व‍िधायक का अभ‍िभादन नहीं क‍िया। इसे लेकर एमएलए वीरेन्‍द्र स‍िंंह ने फोन पर न स‍िर्फ एसपी से कड़ी नाराजगी जाह‍िर की, बल्‍क‍ि ये भी अल्‍टीमेटम दे द‍िया क‍ि अब अपने ट्रांसफर ऑर्डर का इंतजार करो। व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह ने इसके बाद जो क‍िया, उसके चर्चे आज भी उनके कार्यकर्ता करते हैं। व‍िधायक ने एसपी की कॉल काटकर तुरंत अगला फोन लखनऊ म‍िलाया। इसके बाद पूरा घंटा भी नहीं बीता होगा क‍ि शासन से एसपी देहात के तबादले का फैक्‍स बरेली पहुंच चुका था। एसपी ने इसके बाद व‍िधायक से माफी के बहुत जतन भी क‍िए मगर ऐसा हो नहीं सका और उनकी उसी द‍िन बरेली से व‍िदाई हो गई। ऐसे क‍ितने ही उदाहरण बताए जाते हैं, जब व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह ने नौकरशाही को जनता के ल‍िए द‍िन-रात काम करने का पाठ पढ़ाया।

बीडीसी से स‍ियासत में आए, व‍िधायक बने तो रुहेलखंड में छाए 

पूर्व व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह के न‍िधन की खबर से उनके समर्थक और करीब‍ियों में शोक की लहर दौड़ गई है, जो सुन रहा है वही पवन व‍िहार दौड़ रहा है।

वीरेन्‍द्र स‍िंह और उनके पर‍िवार ने बरेली की स‍ियासत में कामयाबी की ऐसी कहानी ल‍िखी, जो म‍िसाल बेम‍िसाल है।1995 में वीरेन्‍द्र स‍िंह पैतृक गांव भगनापुर से न‍िर्विरोध बीडीसी न‍िर्वाच‍ित होकर राजनीत‍ि में पहला कदम रखा था। 1996 में वह ब‍िथरी में ब्‍लाॅॅक प्रमुख की कुर्सी पर काब‍िज हुुुए। 2000 में उनके अनुज भ्राता देवेन्‍द्र स‍िंह एक साथ ज‍िला पंचायत सदस्‍य और बीडीसी चुनाव लड़े और दोनों जीते। बाद में उन्‍होंने बीडीसी छोड़ी। इसी साल वीरेन्‍द्र स‍िंंह के छोटे भाई महेन्‍द्र पाल स‍िंंह की पत्‍नी नीरू पटेल ब‍िथरी की ब्‍लॉक प्रमुख बनीं। 2002 में वीरेन्‍द्र स‍िंह ने बरेली कैंट सीट से यूपी में ब‍िल्‍कुल न पहचानी जाने वाली ओमप्रकाश चौटाला की इंड‍ियन नेशनल लोकदल पार्टी से व‍िधायकी का चुनाव लड़ा और ठीक-ठाक वोट पाकर बड़ी चुनावी राजनीत‍ि में मजबूती से दस्‍तक दी।

कद़दावर राजनेता की छवि रखने वाले वीरेन्‍द्र स‍िंह और उनका पर‍िवार इसके बाद एक-एक कर राजनैत‍िक पायदान चढ़ता गया। 2007 में वह बरेली कैंट से बसपा की ट‍िकट से व‍िधानसभा चुनाव में उतरे और पूर्व मंत्री प्रवीण स‍िंंह ऐरन को करारी श‍िकस्‍त देकर स‍ियासी सनसनी पैदा कर दी। 2007 से 2012 तक बसपा सरकार में वह बरेली की राजनीत‍िक धुरी बने रहे। पूरे रुहेलखंड में उनका नाम लेकर राजनीत‍ि का खास अंदाज बयां क‍िया जाता था। पूर्व व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंह के अनुज देवेन्‍द्र स‍िंह 2009 में ज‍िला सहकारी बैंक के डायरेक्‍टर बने। अगले ही साल वह ब‍िथरी के न‍िर्विरोध ब्‍लॉक प्रमुख बनने में कामयाब रहे। 2010 में नीरू पटेल ज‍िला पंचायत अध्‍यक्ष की कुर्सी पर काब‍िज हुईं। उन्‍होंने उस समय सपा उम्‍मीवार को करारी श‍िकस्‍त दी थी।

2012 में व‍िधानसभा चुनाव हुए तो वीरेन्‍द स‍िंंह ब‍िथरी सीट से मैदान में उतरे और जीत दर्ज कर दूसरी बार सदन  में पहुंचे। उस चुनाव में यूपी के अंदर सपा सरकार बनी। सपा सरकार रहते 2015 में पार‍िवार‍िक एकजुटता और खास स‍ियासी रणनीत‍ि के चलते बसपा व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह अपने बड़े भाई राजेन्‍द्र स‍िंंह के पुत्र मनोज पटेल की पत्‍नी याम‍िनी पटेल को ज‍िला पंचायत सदस्‍य का चुनाव ज‍िताने में सफल रहे। इतना ही नहीं, देवेन्‍द्र स‍िंंह एक बार फ‍िर ब‍िथरी के ब्‍लॉक प्रमुख भी बने। 2017 में मोदी-भाजपा लहर में वीरेन्‍द्र स‍िंंह ब‍िथरी से व‍िधानसभा चुनाव जरूर हार गए मगर इससे उनके स‍ियासी कद पर खास फर्क नहीं पड़ा। भव‍िष्‍य की राजनीत‍ि को लेकर करीबी-समर्थक वीरेन्‍द्र स‍िंंह को और भी बड़े मुकाम पर देखना चाहते थे।

बीमारी से हार गए कभी हार न मानने वाले राजनेता वीरेन्‍द्र स‍िंंह 

सब कुछ ठीक रहता तो वह स‍ियासत में और भी बड़ा धमाल करते मगर कुछ साल पहले पूर्व व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंंह को लाइलाज बीमारी ने घेर ल‍िया। देश-दुन‍िया में बहुत इलाज कराया मगर स्‍वास्‍थ्‍य ब‍िगड़ता ही चला गया। काफी समय से उनका पवन व‍िहार स्‍थ‍ित आवास पर ही रहकर इलाज चल रहा था। पर‍िवार पूरी ताकत से पंचायत चुनाव की तैयार‍ियों में लगा है। भाई महेन्‍द्र पाल स‍िंह की पत्‍नी पूर्व ज‍िला पंचायत अध्‍यक्ष नीरू पटेल वार्ड-60 से ज‍िला पंचायत सदस्‍य का चुनाव लडने जा रही हैं। भतीजे अम‍ित पटेल पैतृक गांव भगनापुर के मौजूदा प्रधान हैं और फ‍िर से प्रधानी का चुनाव लड़ रहे हैं। पर‍िवार के एक सदस्‍य क्षेत्र पंचायत सदस्‍य का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। सभी लोग कुछ द‍िन बाद नामांकन की तैयारी में हैं और अचानक आज दोपहर 12 बजे पूर्व व‍िधायक वीरेन्‍द्र स‍िंह का देहावसान हो गया। उनके न‍िधन से पर‍िवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है। करीबी और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है। जो सुन रहा है, वही गमजदां होकर पवन व‍िहार की ओर दोड़ रहा है।

खबरची/ अनुरोध भारद्वाज 

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