बरेली। चार जिलों के समाजवादी कैंप से दूर रखे गए पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं का दर्द फूटकर सामने आ रहा है। कई-कई दशक से पार्टी विपरीत हालात में भी समाजवादी झंडा हाथों में लेकर संघर्ष करते दिखाई देने वाले कितने ही खास सपाइयों को बरेली में शुरू हुए मंडलीय प्रशिक्षण शिविर से दूर रखा गया है। इनमें भतपूर्व पदाधिकारी ही नहीं, मौजूदा वक्त में पार्टी संगठन भी पद संभाल रहे ठीक ठाक कद वाले समाजवादी नेता भी शामिल हैं। टीम खबरची से बातचीत में खुद जानिए ऐसे बंचित नेताओं की पीड़ा क्या है?
इश्त्याक वारसी : इनसे बायोडाटा मंगाया मगर ट्रेनिंग कैंप में नहीं बुलाया
इश्त्याक वारसी बरेली के ऐसे समाजवादियों में से एक हैं, जिन्होंने का हर संघर्ष में साथ निभाया है। 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना हुई। उसी समय से समाजवादी झंडा बुलंद करते आ रहे हैं। युवजन सभा में महानगर उपाध्यक्ष, मुलायम सिंह यादव यूथ बिग्रेड में उपाध्यक्ष, लोहिया वाहिनी में महानगर महासचिव समेत पार्टी में तमाम पदों पर रहे हैं। इस वक्त वह समाजवादी पार्टी के महानगर संगठन में कार्यकारिणी सदस्य हैं। शहर विधानसभा क्षेत्र के बड़ी बिहार इलाके में रहते हैं। चुनाव कोई भी हो, पीसी आजाद कॉलेज बूथ पर हमेशा अपनी पूरी टीम के साथ जान लगाते हैं और पार्टी को बूथ भी जिताकर भेजते हैं। अकेला यही बूथ नहीं, आसपास के कई और इलाकों में दौड़-भागकर चुनावों में पार्टी क ताकत बढ़ाते हैं।
इश्त्याक वारसी ने टीम खबरची से मुलाकात में अपनी पीड़ा कुछ इस तरह बयां की। वारसी बोले, पार्टी वालों ने हमें बेगाना समझते हैं। शायद इसीलिए हमें हवेली लॉन में हो रहे पार्टी के मंडलीय प्रशिक्षण कैंप में नही बुलाया गया। महानगर संगठन के एक बड़े पदाधिकारी ने फोन करके हमसे बायोडाटा मांगा था। हमने समय रहते बायोडाटा उनके पास भेज दिया। इसके बाद किसी को हमारी याद नहीं आई। ऐसे-ऐसे लोग शिविर में बुलाए गए, जो पार्टी के साथ मुश्किल घड़ी में दूर-दूर तक नजर नहीं आते मगर हमारे संघर्ष का बड़े नेताओं क्या खूब सिला दिया है। अफसोस तो है मगर हम सच्चे और पक्के समाजवादी हैं। पार्टी को जब भी जरूरत होगी, हमेशा सीना तानकर सामने खड़े नजर आएंगे। ये दिल की बाते हैं, इसलिए मौका मिलेगा तो बड़े समाजवादियों को जरूर बताएंगे।
अरविंदर सिंह बेदी : बुलाना तो दूर किसी नेता ने इन्हें फोन पर भी नहीं बताया
मॉडल टाउन इलाके के रहने वाले अरविंदर सिंह बेदी उन समाजवादियों में से एक हैं, जो विरोधी दलों की भीड़ में अक्सर इकलौते होकर भी मुलायम सिंह यादव-अखिलेश यादव जिंदाबाद का शोर उठाते हैं। मॉडल टाउन, राजेन्द्र नगर इलाकों में भाजपा का बजूद इतना है कि समाजवादी पार्टी को यहां के बूथों पर उसे कई बार चुनाव में अपना बस्ता-कैंप लगवाने को भी मशक्कत करनी पड़ती है। सपा नेता अरविंदर सिंह बेदी भाजपा के अति प्रभाव वाले क्षेत्र में सपा का झंडा हाथ में थामकर पूरी जान लगाते हैं। सोशल मीडिया पर जब भी नीति-राजनीति की बहस चल रही होती है तो अरविंदर बेदी मुखर होकर समाजवादी नीतियां बताते हैं और विरोधियों पर प्रहार करते हैं।
2012 में अरविंदर बेदी समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं। 2016 में अल्पसंख्यक सभा के जिला कोषाध्यक्ष बने और 2019 तक बखूबी यह जिम्मेदारी संभाली। उसके बाद से वह पार्टी के हर कार्यक्रम और हर आंदोलन में पार्टी संगठन के एक इशारे पर जीजान से जुटे नजर आते हैं। अरविंदर सिंह बेदी ने टीम खबरची को बताया कि वह चाहते थे कि पार्टी उनको ट्रेनिंग कैंप में शामिल कराती। शामिल कराना तो दूर, पार्टी के किसी पदाधिकारी ने उनको फोन करके भी नहीं बताया। इससे उनको दुख पहुंचा है। मगर समाजवाद उनके दिल में बसा है। समाजवादी पार्टी जिंदाबाद का नारा हमेशा लगाया है और आगे भी लगाते रहेंगे। सपा के मंडलीय ट्रेनिंग कैंप से दूर रखे गए इश्त्याक वारसी और अरविंदर सिंह बेदी ही नहीं, ऐसे कितने ही समाजवादियों ने अपना पीड़ा खबरची के साथ बयां की है। इनमें कुछ तो महानगर संगठन में सैकेंड लाइन का हिस्सा है और जिले में पार्टी का आधार खड़ा करने में बड़ा योगदान देते रहे हैं।यह स्थिति समाजवादी पार्टी के लिए आगे मंथन का विषय जरूर बनेगी, यह आवाज समाजवादी कैंप में साफ-साफ सुनी जा रही है।
खबरची ब्यूरो