बरेली। चुनावी राजनीति में समाजवादी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत रहा ‘मुुुुुस्लिम-यादव (MY)’ समीकरण की अब उसके संगठन मेें पहले जैसी भागीदारी नजर नहींं आ रही। खास तौर पर बरेली मेें जहांं सपा कैंंप मेें सक्रिय तमाम युवा चेहरे पहले ही तरह पार्टी से काम मांग रहे हैं मगर उनको तबज्जो नहीं मिल रही। कुछ दिन बाद पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव बरेली में मंडल भर के सपाइयों को चुनावी ट्रेनिंग दिलाने आ रहे हैं। ऐसे में अंदरखाने पार्टी में अखिलेश के सामने पद विहीन चेहरोंं की परेेेड की तैयारी चल रही है! ऐसा हुुुआ तो पहले से कई धड़ाेें में बंटी बरेली सपा के अंदर आपसी टेंशन और बढ़ सकती है।
समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद उसके तीन दशक के सफर में बरेली के अंदर यादव-मुस्लिम चेहरों को उनके कद के हिसाव से संगठन में जगह पाते रहे हैं। एक-एक साल भगवत सरन गंगवार और तारा सिंंह सोलंकी का कार्यकाल छोड़ दे तो पिछले विधानसभा चुनाव तक बरेली में जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर वीरपाल सिंंह यादव काबिज रहे हैं। नेताजी मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले वीरपाल 2017 में सपा से अलग होकर बनाई गई शिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रसपा में चले गए थे। इसके बाद काफी समय जिलाध्यक्ष की खाली रही। बाद में हाईकमान ने अगम मौया को बरेली का जिलाध्यक्ष बना दिया था। अगम तब से बरेली सपा की कमान संभाल रहे हैं। समाजवादी कैंप से फूट रही नई कहानी ये है कि पूर्व में संगठन से जुड़े दिखाई देने वाले जिले के तमाम चेहरे अब पद विहीन सूची में खडे हैं। ऐसे नेताओं में सबसे ज्यादा यादव हैं। इनमें पूर्व विधायक महीपाल सिंह यादव, पूर्व विधायक शहजिल इस्लाम, पूर्व जिलाध्यक्ष शुभलेश यादव, पूर्व जिला प्रवक्ता डॉ. योगेश यादव, सूरज यादव, संजीव यादव, हरीशंकर यादव, आदेश यादव गुड़डू, बिजेन्द्र यादव, निर्भय यादव, रवि यादव जैसे नाम प्रमुख हैं, जो फिलहाल पार्टी में जिम्मेदारी के नाम पर खाली हाथ दिखाई दे रहे हैं।
इसी तरह मुुुुुस्लिम राजनीति पर पकड रखने वाले पूूूर्व विधायक सुल्तान बेग, पूूर्व महानगर अध्यक्ष जफर बेग, शीशगढ़ चेयरमैन हाजी गुड़डू, आंवला के पूूूर्व चेेेेयरयरमैन आबिद अली, कदीर अहमद, प्रो. जाहिद खां, इकबाल रजा खां, बबलू खान प्रमुख हैं। इनमें कई नेता ऐसे हैं जो सिर्फ चुनावी राजनीति करते दिखाई देते हैं मगर बाकी नेता जिला या प्रदेश संगठन में काम करने की इच्छा रखते हैैं मगर पार्टी उनको कोई काम नहीं दे रही। गाहेेेेेे-बगाहे पदविहीन नेता ओं का दर्द पार्टी के अंदर और बाहर सामने आता रहता है। क्योंकि कुछ दिन बाद बरेली में समाजवादी पार्टी का मंडलीय प्रशिक्षण होने की बात चल रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मंडलीय कार्यक्रम में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को आना है। ऐसे में पार्टी के अंदर कई तरह की बातें हो रही हैं। इनमें मुस्लिम-यादव की सपा संगठन के अंदर पहले के मुकाबले कम भागीदारी को लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं। चर्चा ये भी है कि कई साल से पार्टी में पद और काम मांंग रहे नेता एक साथ खड़े होकर अपनी बात अखिलेश तक पहुंचा सकते हैं।
2017 में बिखर गए थे सपा के परंपरागत वोटर, भाजपा को पहुंचा था बड़ा लाभ
2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में बरेली जिले के अंदर भाजपा का डिब्बा गोल हो गया था। यहांं की 9 विधानसभा सीटों में सबकी सब भाजपा काबिज हो गई थी। इसकी बड़ी वजह समाजवादी पार्टी के बेस वोट बैंक यादव मतदाताओं में भाजपा की सेंधमारी और मुस्लिम वोटरों में पशोपेश की स्थिति थी। यादव और मुस्लिम मतदाता बहुल तमाम बूथों पर भी भाजपा बढ़त बनाने में कामयाब रही थी। अबकी बार पहले जैसी कहानी न दोहराई जाए, इसके लिए सपा हाईकमान ने होमवर्क तो शुरू कर दिया है मगर लगातर बरेली से लखनऊ तक आवाज उठाए जाने के बाद पार्टी संगठन का ध्यान मुस्लिम और यादव वर्ग के उन चेहरों की ओर नहीं है, जो शहर से देहात तक पार्टी की पहचान बनते हैं और संघर्ष में हमेशा आगे रहते हैं। कहा तो ये जा रहा है कि अबकी बार सपा ने अपनी रणनीति बदली है। पार्टी उन वर्गों पर फोकस कर रही है, जो अभी तक सपा के मंचों पर कम ही नजर आते थे। बरेली मेंं अगम मौया को पार्टी की कमान देना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि पार्टी में यह बहस भी लगातार चल रही है कि बेस वोट बैंक के बीच से उभरकर सामने आए ज्यादातर युवा नेताओं को संगठन से दूर रखना पार्टी को भारी पड़ सकता है।
अखिलेश की क्लास का किस-किस को मिलेगा पास, सपा में अंदरखाने छिड़ी बहस
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पीलीभीत बाईपास स्थित हवेली लॉन को सपा के मंडलीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए बुक किया गया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि अभी तक सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आने का लिखित कार्यक्रम नहीं आया है। पार्टी संगठन इस कार्यक्रम को लेकर फिलहाल मीडिया को कोई जानकारी नहीं दे रहा मगर अंदरूनी तौर पर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। पद से बंचित कुछ नेेेेेेेेताओं कहना है कि उनको पार्टी के कार्यक्रम में एंट्री मिलेगी या नहीं, इसे लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। हालांकि एक पूर्व विधायक ने टीम खबरची को बताया है कि हाईकमान के स्तर से कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर बरेली भेजे गए एमएलसी आनंद भदौरिया और सुनील सिंह साजन के सामने यह बात उठाई गई थी। संगठन में नहीं होने के बाद भी पार्टी के सभी प्रमुख नेता कार्यक्रम में शामिल होंगे, इसे लेकर लखनऊ से आए प्रभारियों ने भरोसा दिया है।
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खबरची ब्यूरो