बरेली। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी यूपी में 2022 के चुनावी होमवर्क में तेजी से जुट गई है। एक तरफ जहां जिला और महानगर संगठन के जरिए बूथ मैनेजमेंट पर मजबूती से जमीन काम किया जा रहा है, वहींं मौजूदा विधायकों का अब तक का चौवर्षीय रिपोर्ट कार्ड जांचे जाने के साथ जनता में उनकी छवि भी परखी जा रही है। अंदर की खबर ये है कि बरेली के 9 विधायकों मेें अधिकांंश का लेखाजोखा से संगठन व सरकार की कसौटी पर पर्याप्त नंबर पाता नहीं दिखाई दे रहा। कुछ ऐसे हैं, जिनके रोज के विवादों ने पार्टी की किरकिरी कराई है। कुछ ऐसे हैं, जिनकी सिस्टम से पंगेबाजी की खबरें सरकार-संगठन के पटल पर लगातार छाई रही हैं। सियासत मेें विवादों के साइड इफेक्ट आगे चुनावी रेेेस पर पड़ने जा रहे हैं। भगवा कैंप मेें इसके लिए बेेेदाग छवि, पब्लिक मेें सक्रियता और पार्टी केे प्रति निष्ठा के पैमाने केे साथ चुपके-चुपके नए-पुराने चेहरों पर नजरें दौड़ाई जा रही हैं।
पार्टी संगठन में तैर रहीं खबरों पर यकीन करें तो शहर विधानसभा सीट से दो बार के विधायक डॉ. अरुण कुमार का अगली चुनावी दौड़ को लेकर कठिन इम्तिहान होने जा रहा है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश हाईकमान डॉ. अरुण के काम में भाई-भतीजे बेइंतहा दखल से खुश नही है। इसके अलावा नियमों को दरकिनार कर विधायक की पेट्रोल पंप से नगर निगम को डीजल सप्लाई का विवाद बरेली से लखनऊ तक सुर्खियों में रहा है। ये मसला विधायक के गले की लगातार फांस बना हुआ है, जिसको लेकर विपक्षी खेमा और पार्टियां हमले का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। इसके अलावा विधायक निधि के खर्च को लेकर भी कथित रूप से कुछ ऐसी बातें सामने आ रही है, जिनको लेकर कई स्तर पर चर्चाएं हो रही हैं। खास बात ये है कि चर्चाएं सबसे ज्यादा पार्टी संगठन में हो रही है, जो कहीं से भी विधायक के लिए ठीक नहीं माना जा सकता। जहां तक 2022 चुनाव के लिए भाजपा में शहर सीट से नए दावेदारों की बात है, तो इस पर कई नेताओं की निगाहें हैं। दूसरे दल से कूदकर भाजपा कैंप में चुनावी चेहरा बनकर उभरे एक बड़े आसामी किसी भी तरह शहर से टिकट की जुगत में लगे हैं। वहीं, लंबे समय से पूरी निष्ठा के साथ पार्टी की सेवा करते हुए संगठन में अहम पद संभाल रहे एक क़ददावर नेता अपना प्रोफाइल सामने रखकर शहर से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी की भितरघात से पूर्व में बड़ा चुनाव हार चुके एक नेता भी टिकट की दौड़ में हैं तो दूसरी पार्टी आकर भगवा कैंप में पैर जमाने वाले एक नेताजी अबकी बार किसी भी तरह शहर से चुनाव लड़ने की अपनों के बीच चर्चा-परिचर्चा करते सुने जा रहे हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, बहेड़ी से मौजूदा विधायक छत्रपाल गंगवार को अबकी बार टिकट को लेकर कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है। पुलिस से उनकी लगातार की तनातनी सहित कई ऐसी बातें है, जिनसे ऊपर की संगठन की निगाहें टेढ़ी हैं। भोजीपुरा विधायक बहोरनलाल मौर्या, बिथरी एमएलए पप्पू भरतौल, नवाबगंज विधायक केसरसिंह गंगवार और फरीदपुर विधायक श्यामबिहारीलाल, आंवला विधायक धर्मपाल सिंह का रिपोर्ट कार्ड अलग-अलग कसौटी पर हाईकमान की नजरों में है। कैंट विधायक राजेश अग्रवाल के उम्र फैक्टर को संगठन के स्तर पर तौला जा रहा है। बरेली की 9 विधानसभा सीटों में मीरगंज छोड़कर बाकी 8 पर एक नहीं कई-कई दावेदार टिकट की दौड़ मेंं उभरकर सामने आ रहे हैं। आगे जैसे-जैसे चुनावी रेस तेज होगी, भाजपा की अंदरूनी दौड़भाग, उठापटक-रस्साकशी खुलकर मैदान में नजर आनी तय है।
भाजपा : नवाबगंज में मंत्री सुपुत्री श्रुति गंगवार, बिथरी से पप्पू गिरधारी के नाम की चर्चाएं
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का बरेली की सभी 9 विधानसभा सीटों पर कब्जा है। क्योंकि अब चुनावी कसरत 2022 को लेकर हो रही है, तो पार्टी कैंप में दावेदारों को लेकर उसी तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं। जहां तक चुनावी दावेदारों की बात करें तो सबसे ज्यादा ध्यान नवाबगंज सीट खींच रही है, जहां से केन्द्रीय मंत्री एवं बरेली सांसद संतोष गंगवार की सुपुत्री श्रुति गंगवार उर्फ बुलबुल को लेकर हो रही है। श्रुति रुड़की यूनिवर्सिर्टी से पास आउट इंजीनियर हैं और पिता के चुनाव में अपने इंजीनियर पति के साथ पूरी सक्रियता से जुटी देखी जाती हैं। परिवार ने अभी तक उनकी दावेदारी को लेकर पत्ते तो नहीं खोले हैं मगर भारत सेवा ट्रस्ट से जुडेें करीबी लोग नवाबगंज से श्रुति को लेकर चर्चा करने का कोई मौका नहीं छोड रहे। ज्यादा चर्चाओं में आ रही दूसरी कहानी बिथरी सीट को लेकर है, जहां से पप्पू गिरधारी का नाम भगवा कैंप में सबकी जुबान पर है। पप्पू गिरधारी के पास बरेली की चुनावी राजनीति का लंबा अनुभव है और यहां की सियासत में उनकी पैठ व पावर किसी से छिपी नहीं है। उनकी पत्नी रेखा आर्या उत्तराखंड की सोमेश्वर सीट से विधायक होने के साथ वहां मंत्री भी हैं। पप्पू गिरधारी के करीबी बिथरी से उनकी टिकट की मजबूूूत दावेदारी बाते देखे जा रहे हैं।
खबरची ब्यूरो