बरेली/ मुंगेर। बिहार के मुंगेर में हुई हिंसा पर काबू पाने को सरकार ने नए डीएम-एसएसपी की वहां आपात लेडिंग कराई है। हिंसा की कुछ ही ऐसी ही कहानी बरेली में भी दोहराई गई थी। पार्षद जितेन्द्र सक्सेना उर्फ बबलू की हत्या के बाद शहर बरेली के हालात भी बेकाबू हो गए थे। प्रशासन को कई इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। इस वक्त बिहार की तरह उस दौरान यूपी सरकार ने बरेली में हिंसा नियंत्रण के लिए तेजतर्रार आईपीएस आशुतोष पांडेेेय के साथ एसपी सिटी अशोक राघव को बरेली भेजा था। सरकार का भरोसा जीतते हुए दोनों अफसरों ने बरेली में शांति कायम की थी और लंबे समय तक यहां पारी भी खेली थी।
यहां बता दें कि हाल में बिहार के मुंगेर में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने वहां की एसपी लिपि सिंह और डीएम राजेश मीणा को तत्काल प्रभाव से हटा दिया था। उनकी जगह नए एसपी के रूप में आईपीएस मानवजीत सिंह ढिल्लो और डीएम के रूप में रचना पाटिल को मुंगेर की कमान सौंपी गई है। तुरंत मुंगेर के हालात पर काबू पाने के लिए नए डीएम और एसपी को पटना एयरपोर्ट से विशेेेेष विमान से वहां भेजा गया है। मुंगेर के घटनाक्रम से बरेली के उन लोगों को 2003 में यहां हुई वह घटना याद आ गई है, जब यूपी सरकार ने बिहार में मुंगेर की तरह ही बरेली हिंसा पर काबू पाने को लखनऊ से दो पुलिस अधिकारी बरेली भेजे थे।
दरअसल, सितंबर 2003 को भूड़ के पार्षद जितेन्द्र सक्सेना उर्फ बबलू की सुबह के वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बबलू हत्याकांड ने बरेली शहर में सांप्रदायिक तनाव के हालात पैदा कर दिए थे। कई इलाकों में हिंसा की घटनाएं शुरू हो गईं। तत्कालीन एसएसपी बरेली वीरेन्द्र कुमार हालात पर काबू पाने में नाकाम रहे तो सरकार ने देर शाम एसपी सिटी के साथ उन्हें हटा दिया। लखनऊ से तेजतर्रार आईपीएस आशुतोष पांडेय को एसएसपी और डॉ. अशोक राघव को एसपी सिटी बनाकर रात में ही विशेष विमान से बरेली भेजकर उनकी ज्वाइनिंग कराई गई। खास बात ये रही कि आशुतोष पांडेय के कमान संभालते ही बरेली में हिंसा पूरी तरह रुक गई। इसे लेकर सरकार ने उनकी पीठ थपथपाई थी। उसके बाद आशुतोष पांडेय लंबे वक्त तक बरेली के कप्तान रहे और यहां से तबादले पर आगरा भेजे गए। 1992 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस आशुतोष पांडेय बिहार में भोजपुर के रहने वाले हैं और वर्तमान में एडीजी के पद पर तैनात हैं। बतौर एसएसपी वह फैजाबाद की कमान भी संभाल चुके हैं। राममंदिर पर कोर्ट के फैसले के वक्त भी सरकार ने आशुतोष पांडेय को फैजाबाद भेजा था।
खबरची ब्यूरो